अब बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्र के अपशिष्ट पानी की दो दशकों की समस्या से मिलेगी निजात
– एमओयू के तहत बनेगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
– एसकेआरएयू को निःशुल्क मिलेगा शुद्ध पानी
बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय परिसर में बीछवाल और करणी औद्योगिक क्षेत्र से आने वाले अपशिष्ट पानी एवं सोलिड वेस्ट की वर्षों पुरानी समस्या का शीघ्र समाधान होगा। इसके लिए रीको द्वारा बीछवाल ईको फ्रेंडली फाउण्डेशन और करणी बीकानेर एनवायरो फाउण्डेशन को जमीन निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई है। इस जमीन पर दोनों संस्थाओं द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा इसकी राशि भी स्वीकृत कर दी गई है। यह कार्य करार (एमओयू) के तहत होंगे। इस पर चर्चा के लिए कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। बैठक में बीछवाल ईको फ्रेंडली फाउण्डेशन के अध्यक्ष कमल कल्ला एवं सचिव सतीश गोयल, करणी बीकानेर एनवायरो फाउण्डेशन के सचिव महेश कोठारी एवं सचिव गौरी शंकर सोमानी सहित विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर मौजूद रहे।
औद्योगिक क्षेत्रों को दुर्गंध से मिलेगी मुक्ति
कुलपति प्रो. सिंह ने बताया कि पिछले लगभग बीस वर्षों से दोनों औद्योगिक क्षेत्रों की इकाईयों का अपशिष्ट पानी विश्वविद्यालय परिसर में जमा हो रहा है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है, वहीं आसपास के क्षेत्र में भयंकर दुर्गंध आती है। विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में इस समस्या के समाधान के लिए सतत प्रयास हुए हैं, लेकिन पिछले एक वर्ष के समन्वित प्रयासों के कारण अब इस समस्या का समाधान संभव हो सकेगा। उन्होंने इसके लिए रीको, करणी बीकानेर एनवायरो फाउण्डेशन एवं बीछवाल ईको फ्रंेडली फाउण्डेशन के पदाधिकारियों का आभार जताया।
कृषि कार्य में काम लिया जाएगा ट्रीटेड पानी
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय और दोनों संस्थाओं के मध्य अगले सप्ताह एमओयू किया जाएगा। इसके तहत दोनों संस्थाओं द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे तथा ट्रीटेड पानी विश्वविद्यालय को निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा। यह पानी विश्वविद्यालय द्वारा कृषि कार्य के लिए उपयोग में लिया जाएगा। इन संस्थाओं द्वारा सोलिड वेस्ट की लिफ्टिंग भी की जाएगी। पहले फेज में पांच वर्ष के लिए एमओयू होगा। बैठक के दौरान एमओयू की शर्तों पर चर्चा की गई।
एमओयू के बाद स्थापित होगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
बीछवाल ईको फ्रेंडली फाउण्डेशन के अध्यक्ष कमल कल्ला ने कहा कि इस एमओयू से औद्योगिक क्षेत्र और विश्वविद्यालय को लाभ होगा। एमओयू के बाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पानी के उपयोग से विश्वविद्यालय और आसपास के क्षेत्रों में पौधारोपण की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससेे पर्यावरण संरक्षण के लिए उद्यमियों के सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को मूर्त रूप मिलेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा की गई पहल के लिए कुलपति प्रो. सिंह का आभार जताया तथा उनका अभिनंदन किया। इससे पहले विशेषाधिकारी इंजी. विपिन लढ्ढा ने अपशिष्ट पानी की समस्या और अब तक किए गए प्रयासों के बारे में बताया। बैठक में गृह विज्ञान महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ. विमला डुंकवाल, अनुसंधान निदेशक डाॅ. पी. एस. शेखावत, डाॅ. एन. एस. दहिया, डाॅ. एस. आर. यादव तथा उद्योग विभाग के सहायक निदेशक सुरेन्द्र कुमार मौजूद रहे।
रोजाना 4 एमएलडी पानी को होगा उपचारित
उद्यमियों के साथ विश्वविद्यालय की बैठक के बाद उद्योगपति कमल कल्ला से द इंडियन डेली की हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि इस प्लांट के लग जाने के बाद रोजाना 4 एमएलडी (मैट्रिक लीटर प्रति दिन) पानी उपचारित होगा। इसमें वर्तमान आवश्यकताओं के साथ भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 30 फीसदी अतिरिक्त क्षमता का प्लांट स्थापित करने जा रहे हैं। इसके लिए दो प्लांट लगाने जा रहे हैं। एक डेढ़ तथा दूसरा ढाई एमएलडी क्षमता का होगा। इसमें उपचारित पानी विवि को दिया जाएगा तथा बचा हुआ साॅलिड वेस्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमानुसार उदयपुर भेजा जाएगा। इसका खर्च करणी एवं बीछवाल औद्योगिक क्षेत्र की दोनों संस्थाएं उठाएगी। कल्ला ने बताया कि ये सारी व्यवस्थाएं हो जाने के बाद दोनों क्षेत्र में पौधारोपण होगा इससे क्षेत्र की सुंदरता बढ़ेगी और क्षेत्रवासियों को प्राकृतिक ताजा हवा की सौगात भी मिलेगी। बता दें वर्तमान में बीकाजी फैक्ट्री के सामने बनी गंदे पानी की विशाल झील से मच्छरों एवं दुर्गंध से बुरा हाल हो रहा है। ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना से न केवल औद्योगिक क्षेत्र बल्कि इंजीनियरिंग काॅलेज व कृषि विवि को भी सुकून मिलेगा।
Rajesh Ratan VyasSenior Reporter9509681854