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कोरोना ने बढ़ा दी घरेलू मेडिकल जांच उपकरणों की डिमांड

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– थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर, ऑक्सीमीटर व डिजिटल बीपी मशीन की खरीद में आमजन की बढ़ी रूचि
– महंगे दामों में भी कर रहे हैं खरीद    

बीकानेर। देश में कोरोना काल की शुरूआत होते ही शुगर, बीपी, हार्ट एवं अस्थमा के मरीजों को कोरोना से बचाव की सरकार की ओर से विशेष एडवाइजरी जारी हुई। इस पर इन मरीजों में से अधिकतर ने घर में रहना व सोशियल डिस्टेंसिंग की पालना करने में ही बेहतरी समझी। जिन्हें मजबूरन बाहर निकलना भी पड़ा तो मास्क, सेनेटाइजर आदि मापदंडों का भी ख्याल रखने का प्रयास किए और अभी भी कर रहे हैं। इसके बावजूद कोरोना के खौफ ने इन बीमारियों से पीड़ितों की नींद उड़ा रखी है। ऐसे रोगी पल पल अपने स्वास्थ्य के उतार चढ़ाव की जानकारी हासिल करने के प्रयास में रहे। ताकि कुछ गड़बड़ हो तो सही समय पर उपचार व उपाय किया जा सके। इसके लिए ये मरीज अथवा इनके परिजन घर पर ही ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर, आॅक्सीमीटर व बीपी मैजरमेंट मशीन की खरीद करना उपयुक्त समझ रहे हैं। यही वजह है कि बाजार में इन उपकरणों की कोराना काल से पहले की तुलना में सेल में बड़ा इजाफा हुआ है। दवा विक्रेताओं के अनुसार इन सभी उपकरणों की सेल में औसतन 30 से 60 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मिलती है मानसिक राहत
दवा विक्रेताओं के अनुसार पहले आॅक्सीमीटर का उपयोग सिर्फ अस्पतालों में ही होता था, लेकिन अब बहुत से लोग घर पर ही अपने आॅक्सीजन लेवल की जानकारी ले रहे हैं। यह उपकरण कोरोना से लड़ने में वरदान साबित हो रहा है। इससे मरीज गंभीर होने से पहले ही समय पर डाॅक्टरों की मदद ले रहे ताकि समय रहते जान बचाई जा सके। कोरोना संक्रमण के भय के चलते अब इन उपकरणों की खरीद में कीमत को भी नहीं देख रहे हैं। आॅक्सीमीटर को छोड़कर ये सभी उपकरण कोराना काल से पहले के मुकाबले महंगे बिक रहे हैं। इसके बावजूद लोग इन्हें खरीद रहे हैं। ह्रदय रोग से पीड़ित एक सरकारी शिक्षक ने बताया कि बीपी इंस्ट्रूमेंट व ग्लूकोमीटर तो पहले से ही घर में था, लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एहतियातन आॅक्सीमीटर पर भी खरीद लिया है। इसमें घर का कोई भी सदस्य बाहर से आता है और तबीयत में कुछ डाउट लगता है तो सबसे पहले आॅक्सीजन का लेवल देखते हैं। लेवल सही ही रहता है इसके बावजूद दिन में दो बार जांच कर ही लेते हैं इससे मानसिक रूप से राहत मिलती है।  
थर्मामीटर की है सर्वाधिक डिमांड
दवा विक्रेताओं की माने तो बाजार में थर्मामीटर की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ी है। हालात यह है कि यह मार्केट में बमुश्किल उपलब्ध हो रहा है। इसमें ब्रांडेड कम्पनी का थर्मामीटर पहले के मुकाबले बहुत महंगा बिक रहा है। थर्मामीटर लोकल कंपनी के पहले 50 से 65 रूपए में मिल जाते थे, लेकिन अभी 130 रूपए में आ रहे हैं। वहीं ब्रांडेड कंपनी के पहले 120 से 130 रूपए में आते थे जो अभी 190 रूपए में उपलब्ध हो रहे हैं।
इसके अलावा ब्लड शुगर लेवल की जानकारी देने वाला ग्लूकोमीटर भी नियमित बिकने वाले उत्पादों की श्रेणी में शामिल हो गया है। थोक बाजार में ग्लूकोमीटर 650 रूपए में उपलब्ध है, लेकिन इसके साथ आने वाली स्ट्रिप पहले के मुकाबले महंगी मिल रही है। पहले 25 स्ट्रिप की पैकिंग थोक बाजार में 300 रूपए में मिल जाती थी, लेकिन अब यह 400 रूपए में उपलब्ध हो रही है। इसमें 50 की पैकिंग 650 रूपए में आ रही है। वहीं ब्लड प्रेशर यानि बीपी मापने की मशीन पहले थोक बाजार में 1000 रूपए में मिल जाती थी जो अब 1200 में उपलब्ध हो रही है। वहीं बां्रडेड मशीन पहले 1450 में आ रही थी जो अब 1850 रूपए में आ रही है। नेबुलाइजर स्टीम के दाम पहले 170 थे जो अब बढ़कर 180 रूपए हो गए हैं।  
ऑक्सीमीटर के गिरे दाम
ऑक्सीमीटर को आवश्यक सेवाओं में शामिल करने के बाद इसे सामान्य उत्पाद की श्रेणी में डाल दिया गया है। इससे इसकी कीमतों में गिरावट आई है। पहले थोक बाजार में यह 1200 से 1300 रूपए में बिकता था, लेकिन अब यह महज 650 रूपए में आ रहा है, लेकिन इसकी सेल में 20 से 30 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
इनका कहना है-
अभी थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर आदि की बिक्री ज्यादा हो रही है। हमारे यहां ऑक्सीमीटर पहले छह माह में एक या दो बिकते थे, लेकिन कोरोना काल में एक माह में 10 से 15 बिक रहे हैं। लोग स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं और कुछ कोरोना का भय भी है।
– भंवर सिंह तंवर, सचिव, बीकानेर जिला दवा विक्रेता संघ
इस कोरोनाकाल में घर पर ही शुगर, बीपी, ऑक्सीजन आदि की जांच करने की प्रवृति बढ़ी है। इससे इनकी जांच के उपकरण की सेल में भी अच्छी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन मेरी राय में बीपी मापने की डिजिटल मशीन विश्वसनीय नहीं है। इसके मुकाबले मरकरी इंस्ट्रूमेंट में एक्यूरेसी रहती है। डिजिटल मशीन में 10 से 20 प्रतिशत बीपी ज्यादा आता है। इससे भी रोगी बढ़े हैं। ऐसे उपकरणोें के परिणामों की कम जानकारी के कारण नुकसानदायक है। इसलिए सेहत से खिलवाड़ करने के बजाय प्रशिक्षित लोगों से ही जांच करवाएं तो बेहतर रहेगा।
– महावीर पुरोहित, चेयरमैन, गवर्निंग बाॅडी, बीकानेर जिला दवा विक्रेता संघ

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