इधर कोरोना की मार उधर सरकार का वार, कर्मचारी बेहाल
बीकानेर। साल 2018 में आचार संहिता में मंत्रालय कर्मचारियों की मांगे अपूर्ण रह गई और अब कोरोना की मार ऊपर से सरकार का वार, करे तो करे क्या मंत्रालयिक वर्ग , बरसों से अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है मंत्रालयिक कर्मचारी वर्ग हर बार प्रशासन की रीड की हड्डी कहलाने वाले इस कर्मचारी वर्ग की हमेशा कमर तोड़ दी जाती है। शासन द्वारा आज इस कोरोना महामारी के दौर में भी इस मंत्रालयिक कर्मचारियों के वर्ग ने सरकार का कंधे से कंधा मिलाकर निस्वार्थ भावे से अपनी चिंता ना करते हुए जनता के लिए कार्य किया। बदले में इसका पुरस्कार देने की बजाय सरकार ने वेतन कटौती दी।
3600 ग्रेड पे पर सरकार ने चला दी वेतन कटौती की कैंची
मंत्रालयिक कर्मचारी वर्ग लंबे समय से ग्रेड पे 3600 की मांग कर रहा है। लंबे समय तक कर्मचारी कई बार हड़ताल पर रहे, आंदोलन पर रहे, साल 2017 में हड़ताल की, परिणाम सरकार ने की वेतन कटौती अर्थात पूर्ववर्ती सरकार ने 2013 में बढ़ाए गए ग्रेड पर को गलत बताते हुए उसे वेतन विसंगति बताते हुए वेतन कटौती करती कर दी।
वर्ष 2018 में कर्मचारियों ने फिर अपनी आवाज बुलंद की, परंतु 38 दिन तक हड़ताल चलने के पूर्ववर्ती सरकार की हठधर्मिता के कारण विधानसभा चुनाव 2018 आचार संहिता लगने के साथ ही कर्मचारियों को फिर बेहद निराशा मिली। कर्मचारियों का आक्रोश विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम में भी देखने को मिला भाजपा सरकार सत्ता से बेदखल हुई । दिसंबर 2018 में नई सरकार बनी नई सरकार के सामने भी मंत्रालयिक वर्ग ने अपनी मांगे रखी। वर्तमान में कोरोना महामारी के दौर में भी मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर ट्विटर के माध्यम से अपनी मांग सरकार तक पहुंचाई । फिर एक बार सरकार ने उनकी मांगों को
कुचलते हुए, प्रशासन की इस महत्वपूर्ण कड़ी को वेतन कटौती के लिए मजबूर कर दिया। सरकार के इस फैसले से मंत्रालयिक कर्मचारियों में बहुत रोष है। ऐसी स्थिति में सरकार का यह निर्णय मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए बहुत घातक साबित हो रहा है। मंत्रालयिक कर्मचारियों में विभिन्न कर्मचारी वैसे ही अल्प वेतनभोगी और सरकार ने जबरन वेतन कटौती के आदेश जारी किए। अभी पूर्व में ही मार्च में 16 दिन का वेतन कटवा चुके हैं मंत्रालयिक कर्मचारी। मंत्रालयिक कर्मचारियों ने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाई थी, परंतु अब सरकार ने वेतन कटौती को हर कर्मचारी पर थोप दिया है जिससे उन पर पर आर्थिक बोझ बढ़ना तय है।
मंत्रालयिक कर्मचारी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा की गई वेतन कटौती के फल स्वरुप 5000 से 7000 तक का हर महीने आर्थिक नुकसान उठा रहा है ऐसे में वर्तमान सरकार द्वारा की गई वेतन कटौती से वह और आर्थिक बोझ में दब जाएगा ।। ऐसे में वेतन कटौती का यह फैसला बिल्कुल भी न्याय उचित नहीं है।। वेतन कटौती को सरकार को स्वैच्छिक करना चाहिए।
- मनीष विधानी युवा कर्मचारी नेता (जिला प्रचार मंत्री) शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ, बीकानेर
मंत्रालयिक संवर्ग ने कोविड महामारी के समय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और वेतन कटौती भी करवाई है, लेकिन वर्तमान वेतन कटौती आदेश अल्पवेतन भोगी मंत्रालयिक संवर्ग के परिपेक्ष्य में उचित नहीं है।
आनन्द स्वामी
वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष
राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ
बीकानेर में शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ कल करेगा बड़ा प्रदर्शन
बीकानेर। शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ बीकानेर के संभागअध्यक्ष कमल नारयण आचार्य एवं जिला अध्यक्ष अविकात पुरोहित अध्यक्षता में राज्य सरकार ने कर्मचारियों के वेतन कटौती के जो आदेश किये गए है उसके विरोध मै एवं 5 सूत्रीय मांगों के लिए कई सरकारी कार्यालयों पोस्टर लगाकर विरोध किया जाएगा।। पोस्टर का विमोचन वरिष्ठ कर्मचारी नेता कृष्ण कुमार बोहरा द्वारा किया जाएगा।।शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ के जिला प्रचार मंत्री मनीष विधानी ने बताया संघ द्वारा पूर्व में भी मुख्यमंत्री मुख्य सचिव वित को पत्र लिखा गया था परंतु आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अब शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ की तरफ से आंदोलन को को तीव्र करते हुए सरकारी कार्यालयों में सोमवार को दोपहर 1:30 बजे राजकीय कार्यालयों के भोजन अवकाश के समय में जिला कलेक्ट्रेट पर मांगो का पोस्टर चिपका कर सरकार के वेतन कटौती का विरोध एवं 5 सूत्रीय मांगे मनवाने के लिए संघ के पदाधिकारियों द्वारा एवं साथी कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा। तत्पश्चात , संभागीय आयुक्त कार्यालय , शिक्षा निदेशालय कार्यालय , संयुक्त निदेशक स्कूल संभाग शिक्षा कार्यालय अन्य सरकारी कार्यालय मैं पोस्टर लगाकर प्रदर्शन किया जाएगा। संघ के संरक्षक मदन मोहन व्यास ने बताया कि अगर सरकार वेतन कटौती वापस नहीं लेती है तो पूरे प्रदेश स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। एक तरफ कोरोना की मार ऊपर से सरकार वेतन कटौती कर रही है जो बिल्कुल भी न्याय उचित नहीं है से तुरंत वापस लेकर स्वैच्छिक किया जाना चाहिए।