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ज्ञान गंगा राज्य स्तरीय प्रथम शिक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन

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एम.जी.एस.यू, बीकानेर के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने स्मार्ट साईंस लैब, ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेंटर अवलोकन की इच्छा जताई

बीकानेर। राजकीय डूंगर महाविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग में पांच दिवसीय राज्य स्तरीय प्रथम शिक्षण प्रशिक्षण कार्यशला के समापन समारोह मे एम.जी.एस.यू, बीकानेर के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप मे बोलते हुए कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षण की उपयोगिता एवं फैकल्टी को इसके लिए तैयार करने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाओं की महता के बारे में उदहरण सहित बताया। उन्होंने राजकीय डूंगर महाविद्यालय बीकानेर के रसायन विभाग में स्थापित स्मार्ट साइंस लैब, ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेंटर एवं सोफेस्टिकेटेड लैब की महता को रेखांकित करते हुए निकट भविष्य में इनके अवलोकन की इच्छा जताई। कार्यक्रम में गेस्ट आफ ऑनर नवाचार प्रकोष्ठ के प्रभारी डाॅ. विनोद भारद्वाज ने अपने उद्बोधन मे कहा कि काॅलेज शिक्षा निदेशक संदेश नायक द्वारा रसायन विज्ञान विषय में ज्ञान गंगा शिक्षण प्रशिक्षण आयोजित किया जाना सुखद है। आगे सभी विषयों में इनका आयोजन प्रस्तावित हैं। डाॅ. विनोद भारद्वाज ने बताया कि राजकीय महाविद्यालयों के 50 से अधिक सह/सहा. आचार्यों को इस प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया है यह विद्यार्थियों के लिए लाभकारी होगा। उन्होंने डूंगर महाविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग को राजस्थान में सर्वोत्तम बताते हुए कहा कि यहां होने वाली विद्यार्थी केन्द्रित गतिविधियों के कारण ही प्रथम ज्ञान गंगा कार्यक्रम के लिए इसका चयन किया गया है। विशिष्ट अतिथि सह निदेशक डाॅ. राकेश हर्ष ने ज्ञान गंगा कार्यक्रम को विषय ज्ञान संवर्धन के लिए उतम बताया। उन्होंने कहा कि डूंगर महाविद्यालय के प्रत्येक विभाग में अत्यन्त सामर्थ्य हैं एवं कार्यक्रम किसी भी विभाग का हो सम्पूर्ण काॅलेज एक साथ एक लय में कार्य करता है। डूंगर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. शिशिर शर्मा ने स्वागत उद्बोधन में काॅलेज में संचालित प्रयोगशाला स्मार्ट साइंस लैब, विशिष्ट उपकरण प्रयोगशाला, ग्रीन केमिस्ट्री रिसर्च सेंटर, म्यूजियम आदि द्वारा प्रायोगिक अध्ययन के बारे में बताते हुए कहा कि आने वाले समय में काॅलेज शिक्षा निदेशालय द्वारा दी जाने वाली सभी जिम्मेवारियों को पूरी तन्मयता के साथ लागू करने का प्रयास करेगा। समन्वयक डाॅ. नरेन्द्र भोजक ने रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि पांच दिनों में 15 विशेषज्ञों के व्याख्यान हुए जिनमें रेक्टर एवं बेनिस्टर न्यूजर्सी अमेरिका से डाॅ. दीपक शर्मा एवं बेबूल विवविद्यालय ईरान से प्रोफेसर डाॅ.े घेसम डी नजफपोर शामिल हुए। इसके अतिरिक्त इस रिफ्रेशर कोर्स की विशेषता प्रयोगों का लाइव प्रदर्शन रहा। स्मार्ट साइंस लैब द्वारा क्रोमैटोग्राफी स्पैक्ट्रोस्कापी, अनुमापन आदि से संबंधित वर्चुअल प्रयोगों को करके दिखाया गया। बी.आई.आर.सी द्वारा लर्निंग बाई डूंइंग के तहत डाॅ. रवीन्द्र मंगल ने चुम्बकीय रेखाओं के बनने को दर्शाया। ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेंटर मे डाॅ. एस.के. वर्मा द्वारा जे मील, कैमड्रा आदि द्वारा ड्रग रिसर्च व माॅलिक्यूलर माडलिंग के प्रयोगों के साथ साथ ओपन एज्युकेशन सिस्टम एवं विभिन्न प्रकार के मेटिरियल के उपयोग के बारे में सचित्र प्रदर्शन किया गया।
समापन समारोह से पूर्व पांचवें दिन तीर्थकर महावीर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सी. भास्कर अमेरिका के डाॅ. दीपक शर्मा एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की डाॅ. विमल रार ने की नोट एड्रेस प्रस्तुत किया। साथ ही राजकीय महाविद्यालय अजमेर के डाॅ. आर.के. उपाध्याय ने रासयनीक बल गतिकी एवं राजकीय महाविद्यालय किानगढ़ के डाॅ. सी.पी. पोखरणा ने स्पेक्ट्रोस्कोपी विषय पर व्याख्यान दियें । कन्वीनर डाॅ. एच.एस. भंडारी द्वारा अन्तिम व पांचवें दिन ग्रीन केमिस्ट्री रिसर्च सेंटर द्वारा किये गये नवाचारों- ग्रीन माईक्रोवेव बायोकैमिकल रिएक्टर, ग्रीन सेनिटाइजर, सिल्वर निष्कर्षण, साजी रिएक्टर आदि का वीडियो द्वारा प्रदर्शन किया।
डाॅ. भोजक ने बताया कि पांच दिनों में राजस्थान के सभी जिलों से 52 प्रतिभागियों को 100 प्रतिशत सक्रिय भागीदारी रही। इस कार्यशाला मेें प्रायोगिक कार्यो के साथ साथ तीन ग्रुप एक्टिविटी हुई। इसमें सहभागियों ने वीडियो निर्माण, पी.डी.एफ निर्माण एवं प्रशन पत्र निर्माण का कार्य ऑनलाइन किया एवं रसायनशास्त्र विषय के सिलेबस पर आधारित विभिन्न प्रयोगों पर चर्चा की। कार्यशाला के दौरान बी.एस.सी. एवं एम.एस.सी की सभी कक्षाओं के ई-मोड्यूल बनाने का निर्णय लिया गया। ई-मोड्यूल के निर्माण का कार्य चयनित प्रतिभागियों की टीम द्वारा आगामी 30 दिनों में पूरा करने का प्रस्ताव पारित किया गया। कार्यशाला में वर्चुअल प्रयोगों का प्रदर्शन होना चर्चा का विषय रहा डूंगर महाविद्यालय में स्थापित स्मार्ट साइंस लैब के प्रभारी डाॅ. नरेन्द्र भोजक ने बताया कि कार्यशाला के दौरान आर्गुमैन्टड रिएलटी, वर्चुअल रिएलटी व अकुलस रिएलटी पर आधारित चार साइंस प्रयोगों को दर्शाया गया। डाॅ. भोजक के अनुसार वर्चुअल रिएलटी मे आप कृत्रिम वातावरण को अपने आप को पाते है। आर्गुमेन्टड रियल्टी में आप कृत्रिम वातावरण से आगे बढ़कर कार्य कर सकते है। 52 प्रतिभागियों ने इन प्रयोगों मे बढ़ चढ़ कर भाग लिया एवं रूचि दिखाई। डाॅ. भोजक के अनुसार शीघ्र ही स्मार्ट साइंस लैब के माध्यम से रसायन विज्ञान के अलावा अन्य विषयों के प्रयोग भी करवायें जायेेंगें। आज के एम सत्र में दिल्ली विश्विद्यालय के अंगत देव लर्निंग सेन्टर की समन्वयक डाॅ. विमल रार ने भी अपने व्याख्यान में वर्चुअल प्रयोगों के बारे में एवं वर्चुअल क्लास रूम के बारे में विस्तार से बताया।
समापन समारोह में स्वागत कन्वीनर डाॅ. एच.एस. भंडारी द्वारा एवं रिपोर्ट प्रर्दान डाॅ. नरेन्द्र भोजक द्वारा किया गया। डाॅ. एस.के. वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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