… तो क्या बिक जाएगी 31 लाख करोड़ की विशाल परिसम्पतियों की मालिक एलआईसी
- एलआईसी संघठनों ने सरकार को दी चेतावनी
- कहा आत्मघाती निर्णय की सरकारी मंशा को कभी पूरा नहीं होने देंगे बीमाकर्मी
बीकानेर। भारत सरकार के बजट प्रस्ताव में एल.आई.सी. को स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्ट करने और पब्लिक आॅफरिंग के माध्यम से अपने हिस्से के शेयर बेचने का विरोध शुरू हो गया है। बीमाकर्मियों की चिंता से यह सवाल उठ रहा है कि क्या लाखों करोड़ों की विषाल परिसम्पतियों की मालिक एलआईसी बिक जाएगी। इस संबंध में भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों, विकास अधिकारियों एवं अंिभकर्ताओं के संगठन क्रमशः एल.आई.सी. प्रथम श्रेणी अधिकारी संगठन, नेशनल फैडरेशन आॅफ इन्श्योरेन्स फीड वर्कर्स , आॅल इण्डिया इन्श्योरेन्स एम्पलाॅइज एसोसिएशन , वैलफेयर एसोसिएशन आॅफ एल.आई.सी. एस.सी./एस.टी./बुद्धिस्ट कर्मचारी/अधिकारी संगठन और पेंशनर्स एसोसिएशन, बीमा अभिकर्ताओं के अखिल भारतीय संगठन लियाफी के संयुक्त तत्वाधान में भारत सरकार के बजट प्रस्ताव में एल.आई.सी. को स्टाॅक एक्सचेंज में लिस्ट करने और पब्लिक आॅफरिंग के माध्यम से अपने हिस्से के शेयर बेचने के विरोध किया। साथ ही देशभर के निगम कार्यालयों के समक्ष मंगलवार को एक घण्टे की वाॅकआॅउट हडताल कर सरकार के इस कदम का घोर विरोध करते हुए प्रदर्शन किया।
इतना लाइफ फण्ड फिर भी
निगम के सभी ट््रेड यूनियन संगठनों के संयुक्त मोर्चे के तत्वावधान में अधिकारियों, कर्मचारियों, विकास अधिकारियों एवं अभिकर्ताओं ने सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया हैं। संगठनों का कहना है कि आज शत-प्रतिशत सरकारी नियंत्रण वाली एल.आई.सी. आमजन की छोटी-छोटी बचतों को इकट्ठा कर देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान देती आ रही हैैं। सन् 1956 में अपनी स्थापना से ही एल.आई.सी. ने करोडों भारतीयों का विश्वास और ख्याति अर्जित कर कई माइलस्टोन को पार किया हैं। एल.आई.सी. ने जीवन बीमा व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय प्रदर्शन करते हुए कई रिकार्ड दर्ज करवाये हैं। सन् 1956 में 5 करोड रूपए के बीमाधन से अपनी शुरूआत करते हुए आज एल.आई.सी. 31 लाख करोड की विशाल परिसम्पितियों की मालिक हैं। एल.आई.सी. का 31 मार्च 2019 को कुल लाइफ फण्ड 28.28 लाख करोड रूपए हैं। गत दो दशकों से विभिन्न निजी बीमा कम्पनियों के साथ प्रतिस्पद्र्धा के बावजूद एल.आई.सी. के पास आज 73 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी कायम हैं। एल.आई.सी. को गर्व हैं कि उसने भारत सरकार के कुल बजट प्रयासों में 25 प्रतिशत से अधिक का सहयोग प्रदान किया हैं। एल.आई.सी. ने 5 करोड. रू. के शुरूआती अंशदान जो कि सन् 2011 में 100 करोड हो गया के बदले में हाल ही में भारत सरकार को 2611 करोड रू. का डिविडेंड का भुगतान किया हैं। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि एल.आई.सी. ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक कुल 26,005 करोड रू. का डिविडेेड भारत सरकार को दिया हैं। इस प्रकार एल.आई.सी. ने भारत की सुनिनियोचित विकास परियोजनाओं में उल्लेखनीय योगदान प्रदान किया हैं। निश्चित रूप से एल.आई.सी. में सरकारी हिस्सेदारी बेचने और इसके डिसइन्वेस्टमेंट का भारत सरकार के वित्तीय संसाधनों के प्रबन्धन और आमजन की छोटी-छोटी बचतों पर विपरीतगामी असर पडेगा। सरकार का यह कदम ठीक वैसा ही हैं जैसे कि रोज सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी को हलाल कर एक ही दिन में सारे अण्डे निकालने के प्रयास किये जाए।
औने-पौने दाम पर बेचने के कुप्रयास कर रही है सरकार
संयुक्त मोर्चे के तत्वाधान में देश भर के बीमा कर्मचारियों, विकास अधिकारियों, प्रथम श्रेणी अधिकारियों एवं अभिकर्ताओं द्वारा मंगलवार को भोजनावकाश से पूर्व एक घण्टे की वाॅक-आउट हडताल आयेाजित की गई। इसी कडी में बीकानेर मण्डल कार्यालय एवं इसके अधीन समस्त शाख कार्यालय परिसरों के समक्ष एक घण्टे की वाॅक-आउट हडताल आयोजित हुई जिसमें सभी श्रेणी के कर्मचारियों, अधिकारियों एवं अभिकर्ताओं ने जोशीले नारों एवं जोरदार विरोध प्रदर्षन के माध्यम से सरकार के इस कदम का घोर विरोध किया। बीकानेर मण्डल कार्यालय के समक्ष आयोजित प्रदर्शन में एल.आई.सी. प्रथम श्रेणी अधिकारी संगठन की ओर से बी.पी. सिंह चैहान, नेशनल फैडरेशन आॅफ इन्श्योरेन्स फीड वर्कर्स की ओर से राहुल जायसवाल, आॅल इण्डिया इन्श्योरेन्स एम्पलाॅइज एसोसिएशन की ओर से मोहनलाल बिन्दल एवं शौकत अली पंवार, वैलफेयर एसोसिएशन आॅफ एल.आई.सी. एस.सी./एस.टी./बुद्धिस्ट कर्मचारी/अधिकारी संगठन की ओर से लक्ष्मण मण्डाल, बीमा अभिकर्ताओं के अखिल भारतीय संगठन लियाफी की ओर से विनोद माथुर एवं पेंशनर्स एसोसिएशन की तरफ से वयोवृद्ध साथी सी.एल. शर्मा एवं एम.एल. भार्गव ने सरकार के इस निगम विरोधी एवं जन विरोधी कदम की घोर निंदा करते हुए इसके खिलाफ समस्त निगमकर्मियों को एकजुट होकर एवं आमजन के सहयोग से जन आंदोलन में बदलने का आहवान् किया। साथ ही सरकार को चेतावनी भी दी कि इस आत्मघाती निर्णय की सरकारी मंशा को बीमा कर्मी कभी पूरा नहीं होने देंगे। इसके खिलाफ संघर्ष को और तीव्र करते हुए सरकार को अपने निर्णय को वापिस लेने को मजबूर करेंगे। बीमा कर्मियों के इस प्रदर्शन में बैंक कर्मचारी नेता वाई.के. शर्मा, योगी एवं रामदेव राठौड भी उपस्थित रहे। योगी ने बीमा कर्मियों के इस आंदोलन में बैंक कर्मियों की तरफ से पूर्ण समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार देश के विभिन्न वित्तीय संस्थानों एवं उद्योगों को निजी पूंजीपतियों के हितो के लिये औने-पौने दाम पर बेचने के कुप्रयास कर रही है जिसका समस्त कर्मचारी वर्ग मिलकर पुरजोर विरोध करता रहेगा।