ईसीबी में “सिग्नल प्रोसेसिंग की उभरती प्रवृत्तियां व डिजिटल डिजाइन ” विषयक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन
नवाचार, सृजनता व शोध के बल पर नई तकनीक का विकास देगा आत्मनिर्भर भारत अभियान को संबल: प्रो. राठोड


बीकानेर। अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग तथा राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “सिग्नल प्रोसेसिंग की उभरती प्रवृत्तियां व डिजिटल डिजाइन ” विषयक दो सप्ताह के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन वेबेक्स एप के माध्यम से हुआ l कार्यक्रम संयोजक राजेंद्र सिंह तथा डॉ. मनोज कुड़ी ने बताया की इस कार्यशाला में सिग्नल प्रोसेसिंग से जुड़े 200 छात्रों, संकायों, औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों को प्रशिक्षित गया l उन्होंने बताया की कार्यशाला में दो सप्ताह के दौरान विषय विशेषज्ञों ने सिग्नल प्रोसेसिंग विषय के मूल सिद्धांतों से अवगत कराया गया ।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति प्रो. एन. एस. राठोड ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में नवाचार, सृजनता व शोध के बल पर नई तकनीक का विकास किया जा सकता है l शिक्षण को शोध व नई तकनीक के साथ पढ़ाना कार्यशाला के सम्बन्ध में मूल्य संवर्धन को दर्शाता है l उन्होंने बताया की इलेक्ट्रॉनिक ब्रांच अकेली ऐसी ब्रांच है जो विभिन्न प्रकार की अन्य ब्रांचों में निहित है l ईसीबी प्राचार्य डॉ. जय प्रकाश भामू ने बताया की इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को सिग्नल प्रोसेसिंग के क्षेत्र में नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को विस्तार से बताया गया है l
इंजीनियरिंग कॉलेज अजमेर के प्राचार्य डॉ. यू.एस. मोदानी व महिला इंजीनियरिंग कॉलेज अजमेर के प्राचार्य डॉ. जीतेन्द्र डीगवाल ने बतौर विशिष्ठ अतिथि उद्बोधन देते हुए बताया कि वर्तमान परिपेक्ष्य में प्रत्येक उपकरण में इलेक्ट्रॉनिक सम्बन्धी तकनीक काम में ली जा रही है l इसलिए जरूरी है की इलेक्ट्रॉनिक व सिग्नल प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हो रहे नवाचार व शोध में प्रत्येक विद्यार्थी व संकाय अपनी भागीदारी निभा देश व राष्ट्र हेतु नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर नए उपकरण निजात कर आत्मनिर्भर भारत का संकल्प साकार करें l
इंजीनियरिंग कॉलेज बाड़मेर के प्राचार्य डॉ. एस. के. विश्नोई व कार्यशाला के प्रमुख वक्ता डॉ. राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान सूरत के डॉ. अभिषेक आचार्य ने बताया की प्रोद्योगिकी का अधिकतम उपयोग, सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का परिवर्तन व परिवर्तन को स्वीकार कर तकनीकी विधाओं को अपनाना ही शोध व नवाचार की और उठाया पहला कदम है l
कुरुक्षेत्र के प्रो. साथंस, टैक्युप समन्वयक ओ.पी. जाखड, एन.आई.टी. हमीरपुर के डॉ. राकेश शर्मा आदि ने भी कार्यशाला में विचार रखे l
कार्यक्रम का संचालन इंदु भूरिया ने किया। महाविद्यालय रजिस्ट्रार डॉ. मनोज कुड़ी ने प्रतिभागियों व विषय विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापित किया।