महिलाएं संयम व त्याग की प्रतिमूर्ति : शुची शर्मा
ईसीबी में “लैंगिक रूढ़िवाद: मुद्दे व चुनोतियाँ” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ समापन
कार्यक्रम को देश के राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संस्थानों के प्रमुख शिक्षाविदों तथा प्रशासनिक अधिकारीयों ने संबोधित किया
बीकानेर। अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के मैकेनिकल विभाग तथा राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “लैंगिक रूढ़िवाद: मुद्दे व चुनोतियाँ” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन हुआ l
कार्यशाला को संबोधित करते हुए तकनीकी शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार की शासन सचिव व कार्यक्रम के प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता शुची शर्मा ने महिलाओं को संयम एवं त्याग की प्रतिमूर्ति बताया । शर्मा ने जन्म से मृत्यु तक नारी शक्ति के कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए नारी सम्मान की बात कही । उन्होंने कहा की हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें काम, गुण, जिम्मेदारियां, व्यवहार और प्रतिभा किसी लिंग जाति, रंग एवं वर्ग के आधार पर न थोपे जाएं। उन्होंने बताया की उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति में बढ़ रही महिलाओं की भागीदारी भारत के भविष्य को उज्जवल करती है l
कार्यशाला के दुसरे सत्र में बतौर मुख्यवक्ता आई.आई.टी. बॉम्बे के प्रोफेसर ए. के. सुरेश ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्त्रिकरण, उनके द्वारा किये जा रहे नवाचार, व उनकी सृजनात्मक कार्यशैली पर विचार व्यक्त किये l
राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो. आर.ए. गुप्ता ने कहा कि लिंग भेद की शुरुआत घरों से होती है। अभिभावक बेटे बेटी में भेद कर इसकी शुरुआत करते हैं। लिंग संवेदी माहौल बनाने के लिए हमें घर से लिंग भेद का समापन करना पड़ेगा।
उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. नरेन्द्र चौधरी ने कहा की किसी समाज की प्रगति का मानक केवल वहाँ का परिमाणात्मक विकास नहीं होना चाहिये। समाज के विकास में प्रतिभाग कर रहे सभी व्यक्तियों के मध्य, विशेषकर महिलाओं का, उस विकास में समावेशन भी होना ज़रूरी है ।
नेशनल प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट के प्रो. पी.एम. खोडके ने बताया की लैंगिक असमानता में हम तब तक बदलाव नहीं ला सकते जब तक की इसकी शुरुआत खुद से नहीं करें। समाज में बदलाव लाने के लिए युवाओं की सोच में बदलाव लाना जरूरी है।
ईसीबी प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश भामू ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की प्रस्तावना पेश की l उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य जेंडर समानता के प्रति युवाओं की रिस्पॉन्सिबिलिटी, रिस्पॉन्सिवनेश और रिड्रेशल मेकानिज्म पर चर्चा कर एक बेहतर भविष्य का निर्माण हो सके उस और कदम उठाना था ।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. ओ.पी. जाखड ने आये अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया की देश के विभिन्न हिस्सों से इस कार्यक्रम में 450 व्यक्तियों की भागीदारी रही l कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. ऋचा यादव, डॉ. रवि कुमार, विनोद यादव, व पूनम शर्मा ने किया l