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कर सलाहकारों ने कोरोना काल में वेट और जीएसटी की मांग वसूली को स्थगित करने की सीएम से लगाई गुहार

बीकानेर। बीकानेर टैक्स कंसलटेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जे डी चूरा व सचिव एडवोकेट गणेश कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कोरोना काल में वेट और जीएसटी की मांग वसूली को स्थगित करने के गुहार लगाई है पत्र में बताया कि इस समय राज्य और पूरा देश कोरोना के प्रकोप से संघर्ष कर रहा है और ऐसे में आपने राज्य के डीलर्स को राहत देने के लिए
राज्य में मिसमैच को दूर करने एवं सी -फार्म आदि को पेश करने की तिथि को 30 सितम्बर तक बढ़ा दिया है और राहत को देने के लिए राज्य का व्यापार एवं उद्योग संघ हार्दिक आभार व्यक्त करता है और इसके साथ ही राज्य के
प्रोफेशनल्स भी इसके लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते है ।
इसके साथ ही सूचित कर रहें है कि राज्य के वाणिज्य कर विभाग ने आपके इस आदेश के बावजूद भी वैट और जीएसटी में मांग वसूली
के नोटिस इस समय ही जारी करने प्रारम्भ कर दिए है एवं इनकी वसूली के लिए भी जोर देना शुरू कर दिया है जो कि आप द्वारा राज्य की करदाता जनता को दी गई राहत के विपरीत है । इसके अलावा अनेक कर निर्धारण अधिकारी किसी न किसी रूप में नोटिस जारी कर व्यापारियों एवं प्रोफेशनल्स को इसकी अनुपालना निश्चित तारीख को करने के लिए दबाव डाल रहें हैं जबकि कोरोना की महामारी बीकानेर में विशेष रूप में अपने पांव पसार चुकि है । नोटिस की अनुपालना नहीं करने पर इक तरफा आदेश होने की पूर्ण संभावना है जिसके कारण अनावश्यक रूप से व्यापारियों पर आर्थिक भार आ जाएगा जो कि कोरोना काल की त्रासदी में व्यापारियों के लिए असहनीय होगा ।
इसलिए आग्रह है कि आपदा के इस काल में बकाया मांग राशि के लिए जारी नोटिस एवं इसकी वसूली को तुरन्त रूकवाने का कष्ट करें तथा साथ ही समस्त वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों को अति आवश्यक एवं कालातीत
होने वाले मामलों के अलावा किसी भी प्रकार के नोटिस जारी नहीं करने का निर्देश देवें ताकि पहले से ही कोरोना से पीड़ित और संघर्ष कर रही राज्य की जनता को राहत मिल सके ।
उन्होंने बताया कि जिन मांग के लिए नोटिस दिये जा रहे है उनमें से अधिकांश मांग तो मिसमैच, सी-फॉर्म की प्रस्तुती, संशोधन प्रार्थना पत्र के लंबित होने, पिछली साल के संशोधन के बाद आधिक्य अगले साल में नहीं ले जाना, संशोधन के बाद मांग कम होने या आधिक्त आ जाने पर उसके अगले साल के ब्याज पर प्रभाव नहीं लेने पर आधारित है जिनकी समस्त सूचना विभाग की पत्रावली पर उपलब्ध है जिसे एक विशेष अभियान के तहत विभाग को स्वयं ही अपनी पत्रावलियां जांच कर कम करना चाहिए लेकिन ऐसे मामलों में भी मांग कम किये बिना नोटिस जारी किये जा रहे है जिसे आपके ध्यान में लाना जरूरी है । जीएसटी के तहत भी वैट का अंतिम
शेष जो फॉर्म संख्या Tran-1 भरकर लिया था उसका अंतर भी इन्ही विसंगतियों के कारण है ।
उन्होंने बताया कि इस समय राज्य के व्यापारी अपने इस मांग या इससे संबंधित स्पष्टीकरण
कोरोना प्रकोप से जूझते हुए देने में बिल्कुल असमर्थ है और अन्य राज्यों से आने वाले सी-फॉर्म्स इत्यादि प्राप्त कर पेश करने की स्थिति में भी नहीं है ।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में वाणिज्यिक कर विभाग, बीकानेर में व्यापारियों द्वारा प्रस्तुत
इनपुट मिसमैच एवं संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र सैकड़ो की संख्या में लंबित पड़े है जिसका निस्तारण अधिकारिक स्तर पर नहीं किया जा रहा है । पत्रावलियां स्टाफ के अभाव में अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हो रही है । इसके अलावा पच्चीस हजार से ऊपर के इनपुट मिसमैच के मामलों में विक्रेता, फर्मों के संबंधित कर निर्धारण अधिकारियों के द्वारा सत्यापन नहीं किया जा रहा है जिनके कारण पच्चीस हजार के ऊपर के इनपुट मिसमैच राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के बावजूद सत्यापित नहीं हो पा रहे है तथा अधिकांश मांग राशि इसी से संबंधित है जो
वसूली योग्य भी नहीं है ।
उन्होंने बताया कि सीएम द्वारा समय-समय पर व्यापारियों के हितों पर गौर किया जाता रहा है तथा आपके प्रयासों से व्यापारियों को राहत भी मिली है इसी कम में आपके द्वारा बजट प्रस्तुत करते वक्त अपने बजट भाषण में स्पष्ट रूप से ब्याज एवं शास्ति माफी योजना लाने का वचन दिया गया था लेकिन आज तक एमनेस्टी स्कीम राज्य में लागू नहीं की गई है जबकि आपके द्वारा भूमिकर, स्टाम्प ड्यूटी इत्यादी में एमनेस्टी स्कीम में अधिसूचित कर दिया गया है । आपसे एक बार पुनः आग्रह है। कि लंबे समय से वांछित एमनेस्टी योजना को शीघ्र अधिसूचित करने का कष्ट करें
जिससे अनावश्यक रूप से कायम ब्याज एवं शास्ति को गरीब व्यापारियों को जमा करवाए जाने से राहत मिल सके ।
उन्होंने सीएम से उनके अंतर्गत आने वाले वाणिज्य कर विभाग को इस संबंध में आदेश देकर राजस्थान के व्यापार और उद्योग को इस महामारी में इस विकट स्थिति में राहत दिलवाने का आग्रह किया है।

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