स्कूल के बच्चों ने बनाया ऐसा कूलर, जिसमें पंप और घास की जरूरत ही नहीं
इस कूलर में पानी का पंप व पर्दे न होने पर इसकी कीमत भी कम होती है तथा विद्युत व्यय भी कम होता है।
सरदारशहर। विज्ञान केन्द्र गांधी विद्या मंदिर में बेसिक पब्लिक स्कूल व दूगड़ विद्यालय के छात्रों की टीम ने एक नवाचार युक्त कूलर का निर्माण किया है। इस कुलर में परम्परागत कूलर की तरह पानी का पंप व घास के पर्दे नहीं लगते। कूलर में पानी के वाष्प होने की क्रिया में बाहर की हवा ठंडी होकर निकलती है। क्योकि बाहर की गर्म हवा पानी के संपर्क में आने पर पानी का वाष्पन होता है। जिससे हवा की उष्मा का व्यय पानी के वाष्पन की क्रिया में व्यय हो जाती है तथा निकलने वाली हवा उष्मा रहित अर्थात ठंडी होती है।
परम्परागत कूलर में घास के पर्दे पर पंप के माध्यम से पानी गिराया जाता है। जिससे पर्दे गीले हो जाते हैं। इन गीले पर्दों के संपर्क में आने पर हवा ठंडी होती है। परन्तु नवाचार कूलर के अन्दर निर्वात पैदा किया जाता है। जिससे बाहर की हवा पानी की सतह के ऊपर 8 स्थानों से गुजरती है। पानी की सतह के संपर्क में आने पर पानी का वाष्पन होता है और हवा ठंडी हो जाती है। यह अवधारणा विज्ञान के विद्यार्थी रह चुके गांधी विद्या मंदिर के कुलाधिपति कनकमल दूगड़ ने छात्रों को दी। इसी परिकल्पना के आधार पर छात्रों ने नवाचार युक्त कूलर तैयार किया है। इस कूलर में पानी का पंप व पर्दे न होने पर इसकी कीमत भी कम होती है तथा विद्युत व्यय भी कम होता है।