चाय के भावों में उफान,
पिछले डेढ़ सौ सालों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज
द इंडियन डेली एक्सक्लूसिव
बीकानेर। देश में चाय के भावों में जबरदस्त उछाल आया है। बीकानेर के कारोबारियों के अनुसार चाय के होलसेल के भाव 300 रूपए प्रति किलो तक जा सकते हैं। यह भारतीय चाय उद्योग के लिए एक रिकॉर्ड है और देश में पहली बार ऐसी मूल्य वृद्धि हुई है। इन भावों में बढ़ोतरी की वजह लाॅकडाउन व उत्पादन की भारी कमी माना जा रहा है। देश में पिछले साल 2019 जनवरी से अप्रेल तक 188.1 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था। वहीं कोरोना संक्रमण के चलते लगे लाॅकडाउन से इस साल जनवरी से अप्रेल तक 113.4 मिलियन किलोग्राम ही उत्पादन हुआ। यानि पिछले साल के मुकाबले इस साल 74.7 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन कम हुआ है। यह हालात केवल भारत ही नहीं वरन दुनिया के अन्य देशों में भी देखे जा सकते हैं। केन्या में स्थिति जरूर बेहतर रही। वहां पिछले साल के मुकाबले इस साल जनवरी से अप्रेल तक 75.8 मिलियन किलोग्राम उत्पादन ज्यादा हुआ, लेकिन श्रीलंका, बांग्लादेश व मालावी में उत्पादन में गिरावट दर्ज हुई है। श्रीलंका में जनवरी से मई तक 29.3 मि.किग्रा., बांग्लादेश में जनवरी से मई तक 3.4 तथा मालावी जनवरी से मई तक 3.1 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन कम हुआ है।
घटा निर्यात
लाॅकडाउन के चलते उत्पादन कम हुआ और उत्पादन की कमी ने देश के चाय निर्यात को बुरी तरह से प्रभावित किया है। देश में पिछले साल के मुकाबले इस साल अनुमानतः 12 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात में कमी दर्ज की गई है। देश में पहली बार, मजबूत खरीदारों की मांग और एक गंभीर कमी से प्रेरित नीलामी में औसत चाय की कीमतों में 40-60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। टी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, मई के महीने में हुई पहली नीलामी में गुवाहाटी की नीलामी में कीमतें 52.12 रुपये प्रति किलो से अधिक 217.12 रुपये प्रति किलोग्राम पर बढ़ीं, जहां असम की चाय मुख्य रूप से बेची जाती है और सिलीगुड़ी में इसी तरह की नीलामी में कीमतें 39 प्रतिशत बढ़कर 204.25 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। मई के मध्य तक गुवाहाटी में कीमतें 61.12 प्रतिशत बढ़कर 217.12 रुपये पर पहुंच गईं, जबकि सिलीगुड़ी में 39 प्रतिशत उछाल रहा। बीकानेर के फड़बाजार स्थित प्रमुख चाय कारोबारी अभिमन्यु गर्ग के अनुसार कोलकाता से चाय खरीद करते हैं वहां बीते बुधवार को औसत दाम 252 रूपए प्रति किलोग्राम रहे जो चाय के पिछले डेढ़ सौ सालों के इतिहास में सबसे ऊपर का दाम है। जब 252 रूपए बोली पर चाय निकलेगी तब इस पर अलग अलग भाड़ा लगता है। पांच प्रतिशत टैक्स लगता है। मोटामोटी पौने तीन सौ से ऊपर घर पर पड़ेगी। यह होलसेल के भाव है। गर्ग कहते है कि जब हम रिटेलर को देंगे तो समझों कि क्या दाम जाएंगे। सामान्य दिनों में यह भाव डेढ़ सौ रूपए किलो रहते हैं। भाव बढ़ने का कारण एक तो आसाम में लाॅकडाउन, बाढ़, बंगाल के टी गार्डन में लैबर की कमी के चलते उत्पादन में कमी। आधी लेबर के साथ उत्पादन हो रहा है। हिन्दुस्तान में हर रोज चाय का उत्पादन घट रहा है।
तोलियासर भैरूजी गली स्थित बीकानेर के प्रमुख चाय कारोबारी ललित चौपड़ा कहते है कि अभी चाय के भावों में काफी तेजी है। चाय की फसल जनवरी से मार्च तक 50 फीसदी कम हुई। भावों में करीब 30 से 40 प्रतिशत की तेजी है। लाॅकडाउन में चाय तैयार हुई नहीं फिर फसल खराब हो गई। इसके चलते क्राॅप शाॅर्ट हो गई। ये सभी कारण चाय के भावों में बढ़ोतरी के जिम्मेदार रहे हैं।