कर्मचारियों की वेतन कटौती के आदेश को प्रत्याहरित किया जाए
बीकानेर। शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ राजस्थान ने मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत को कर्मचारियों की वेतन कटौती के आदेश को प्रत्याहरित करने का ज्ञापन दिया। शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष गिरजाशंकर आचार्य ने बताया कि संघ मंत्रालायिक कर्मचारियों के आर्थिक हितो की रक्षा को लेकर संघ चिंतित है व उचित हक दिलाने को लगातार प्रयासरत है ।
ज्ञापन भेज कर संघ ने मुख्य मंत्री अशोक गहलोत को याद दिलाया कि आपकी सरकार के पिछले कार्यकाल मे की गई वेतन बढोतरी को गत सरकार ने अन्याय कर इसे रोकते हुए अधिक वेतन वसूली के आदेश जारी कर दिए । इसे तुरंत निरस्त कर आपकी सरकार के समय हुए वेतन बढ़ोतरी के आदेशों को यथावत रखा जाये ।
इस आशय का एक ज्ञापन संघ के प्रदेश अध्यक्ष गिरिजा शंकर आचार्य ने मुख्यमंत्री को भेजा है । ज्ञापन में लिखा कि 28/06/2013 की अधिसूचना क्रमांक एफ14(1) वित्त(नियम)/2013 दिनांक 28/06/2013 के द्वारा श्रीअशोक गहलोत सरकार नें राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित) वेतन नियम 2008 मे संषोधन कर अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों की ग्रेड पे व न्यूनतम वेतन में 01 जुलाई 2013 से बढोतरी की गई थी तथा ग्रेड पे रूपये 2400, 2800, 3600, तथा 4200 पाने वाले सभी सवंर्ग के कर्मचारियों को सेवा के अनुसार अगली स्टेज ग्रेड पे प्रदान की गई थी जिसे पिछली सरकार ने 30/10/2017 की अधिसूचना से आपकी सरकार के 28-6-13 के आदेशो को पलटते हुये 01/07/2013 से वसूली के आदेश जारी कर दिये वसूली के आदेशो से कर्मचारियों में भारी आक्रोष व्याप्त है। इन वसूली आदेशो से शिक्षा विभाग के अधिकांश अल्प वेतन भोगी मंत्रालयिक एवं सहायककर्मचारी भी प्रभावित हुये है। वसूली के इस आदेश को न्यायालय मे चुनौति दि जा चुकी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य के पुलिस विभाग के कर्मचारियों की वसूली पर रोक लगा दी है तथा जयपुर डीबी रिट पिटिशन क्रमांक – 6300/2020 अब्दुल रषिद अंसारी पीडब्लूडी अजमेर से सेवा निवृत वरिष्ठ सहायक के मामले में 01/07/2013 से वसूली के आदेशो पर भी रोक लगा दी है। संघ ने ज्ञापन में सरकार से कहा है कि इस काले आदेश से कर्मचारियों में व्याप्त भारी आक्रोष तथा न्यायालयों में वसूली पर लगी रोक व स्थगन को देखते हुये 30/10/2017 की अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से प्रत्याहारित करे , तथा 28/06/2013 / -II को जारी अधिसूचना को पुनः प्रभावी करावें तथा बेवजह न्यायालिक प्रकरणों के साथ भविष्य में कर्मचारियों द्वारा होने वाले आक्रोश व टकराव तथा आंदोलनो से बचा जा सकता है ।