कोरोना के बीच चीन में छाया ‘काली मौत’ का खतरा।
दुनिया भर में इसकी भी चिंता कहीं ये भी फेल ना जाए
नई दिल्ली। अभी पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है इस बीच दुनिया के लिए एक और बुरी खबर सामने आ रही है। दरअसल, कोरोना के बीच चीन में एक और भयावह बीमारी दस्तक दे चुकी है। इस बीमारी का नाम है ब्यूबोनिक प्लेग । उत्तरी चीन के एक अस्पताल में ब्यूबोनिक प्लेग का मामला आने के बाद से वहां अलर्ट जारी कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्यूबोनिक प्लेग का यह केस बयन्नुर के एक अस्पताल में शनिवार को सामने आया। जिसके बाद स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने यह चेतावनी 2020 के अंत तक के लिए जारी की है साथ ही लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस बीमारी को जल्द से जल्द नहीं रोका गया तो ये पूरे चीन में तहलका मचा सकती है और इससे मरने वालों की संख्या करोड़ों में हो सकती है। जानकारों के मुताबिक ये बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है। इस बैक्टीरिया का नाम है यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम । यह बैक्टीरिया शरीर के लिंफ नोड्स, खून और फेफड़ों पर हमला करता है। इससे उंगलियां काली पड़कर सडऩे लगती है। इसके साथ ही शरीर में असहनीय दर्द, तेज बुखार होता है। नाड़ी तेज चलने लगती है. दो-तीन दिन में गिल्टियां निकलने लगती हैं। 14 दिन में ये गिल्टियां पक जाती हैं। इसके बाद शरीर में जो दर्द होता है वो अंतहीन होता है। और अंत में उसकी मौत हो जाती है। यहीं वजह है इसे लोग ब्लैक डेथ यानी काली मौत भी कहते हैं। ये बीमारी पहले भी पूरी दुनिया में लाखों लोगों को मार चुका है। इस जानलेवा बीमारी का दुनिया में तीन बार हमला हो चुका है। पहली बार इसे 5 करोड़, दूसरी बार पूरे यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार 80 हजार लोगों की जान ली थी। अब एक बार फिर ये बीमारी चीन में फिर से दस्तक दे दिया है। बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी ना होने की वजह से उस वक्त के डॉक्टर मानते थे कि ये मरीज से निकलने वाली दूषित हवा के कारण होता है। इससे ही बचाव के लिए वे लंबी चोंच वाला मास्क पहनते। चोंच के भीतर वे खुशबूदार चीजें, जैसे दालचीनी, लोबान, शहद या परफ्यूम आदि रख लेते और तब मरीज के कमरे में जाते थे। उन्हें लगता था कि खुशबू सूंघते रहने पर गंदी हवा उनकी नाक तक नहीं जा सकेगी और वे बीमारी से बच जाएंगे। लेकिन असल में ये बीमारी हवा से नहीं, बल्कि येर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरिया से होती थी।चूहों में पाया जाने वाला ये बैक्टीरिया मक्खियों के जरिए इंसानों में फैलता था।