कहीं भारी ना पड़ जाए ‘बलाय जोणै’ वाले इस शहर की लापरवाही
✍ श्याम नारायण रंगा की कलम से
बीकानेर में कोरोना अपने पैर पसार रहा है। यह वैश्विक महामारी अपने शहर के लिए ज्यादा घातक हो सकती है क्योंकि इस शहर में शुगर, ब्लड प्रेशर सहित अस्थमा औऱ पाइल्स जैसी समस्यों से हर घर परेशान है। हमारा खानपान ऐसा है जो हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। जर्दे औऱ पान मसाला सहित गुटके के शौकीन इस शहर में कोरोना से बचाव अत्यंत आवश्यक है। केंद्र और राज्य सरकार अपना काम कर चुकी है। अब जागरूकता से ही बचाव संभब है। राजनीतिक स्तर पर कुछ हो इसकी अब संभावना कम ही है। प्रशाशनिक अमला भी व्यवस्थाओं के आगे मजबूर है। कहने का मतलब यह है कि अब समय ऐसा है कि खुद संज्ञान लेना होगा और बचाव के साधन अपनाने होंगे। याद रखे सरकार के लिए आप महज एक संख्या है पर अपने परिवार के आप ही सबकुछ हैं। बलाय जोणै (देखी जाएगी) वाले इस शहर की लापरवाही कहीं सभी के लिए भारी न पड़ जाए। शहर हमारा है, हमें इस शहर से प्रेम है, शहर के लोग एक दूसरे से प्रेम करते हैं तो अब समय है वास्तव में एक दूसरे की फिक्र करने का। हम कुछ समय के लिए मिलना जुलना बंद करें। घरों से बाहर अतिआवश्यक हो तब ही निकले। मास्क का प्रयोग करें। 2 गज की दूरी मिलते वक़्त जरूर रखे। शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखें। अपने job पर अपने सहकर्मियों से दूरी रखे। साथ मिलकर भोजन न करें। थोड़ी थोड़ी देर में हाथ धोते रहें। अपने घर और आसपास की बैठक बाजी में शामिल न हों और जो लोग बैठबाजी कर रहेहैं उनको वहां से हटाए। बाजार से सामान खरीदने से बचें, जब तक अत्यंत आवश्यक न हो बाजार से सामान न खरीदें। आओ हम सब मिलकर इस समस्या का मुकाबला करें। आस पास साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें। आओ मिलकर अपने शहर को बचाये। जय जय बीकाणा। ( लेखक के अपने विचार हैं)