कोविड-19 के बावजूद भी राजस्थान पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन में अच्छी प्रगति करेगा- कुलपति शर्मा
– वेटरनरी विश्वविद्यालय में ऑनलाइन पशुपालक चौपाल संपन्न
– किसान-पशुपालक बैंकर्स से हुए रूब-रू
– ऋण और सहायता योजनाओं की ली जानकारी
बीकानेर, 26 जून। वेटरनरी विश्वविद्यालय में शुक्रवार को आयोजित ऑनलाइन “पशुपालक चौपाल“ में राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकों के आला अधिकारी पशुपालकों से रूब-रू हुए। चौपाल में बैंक अधिकारियों ने बैंक ऋण द्वारा पशुपालन को व्यवसाय को आत्मनिर्भर बनाने की जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में डिजिटल चौपाल किसानों और पशुपालकों से जुड़ने की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पशुपालन की विभिन्न योजनाओं खासतौर पर खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने में बैंकर्स का बड़ा योगदान हो सकता है। कोविड-19 के बावजूद भी आने वाले समय में राजस्थान प्रदेश पशुपालन तथा दुग्ध उत्पादन में अच्छी प्रगति करेगा। चौपाल में मुख्य अतिथि नाबार्ड जयपुर के मुख्य महाप्रबंधक जयदीप श्रीवास्तव ने बताया कि बैंक ग्रामीण क्षेत्र में किसान, पशुपालकों और महिलाओं को संगठित करके आधारभूत सुविधाओं के लिए ऋण और सहायता सुलभ करवा रहा है। सभी जिलों में नाबार्ड अधिकारी फसली ऋण के साथ-साथ पशुपालन से आय सृजन की योजनाओं में सहायता कर रहे हैं। किसान को पशुपालन के साथ साथ घास/चारा तथा अन्य संसाधनों हेतु कार्यशील पॅूजी के रुप में जारी किसान क्रेडिट कार्ड से होने वाले लाभ को भी विस्तार से पशुपालकों को बताया तथा पशुपालकों को अतिरिक्त व्यय के लिए उपलब्ध वित्त के साधन के रुप में पशुधन केसीसी के बारे में चर्चा की। केन्द्रीय सहकारी बैंक, बीकानेर के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में पशुपालकों को डेयरी संघ के माध्यम से ऋण योजनाओं और पशु खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और सुविधाओं की जानकारी दी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक अनिल सहाय ने राज्य में 1300 बैंक शाखाओं के मार्फत किसान क्रेडिट कार्ड, स्वयं सहायता समूह और पशुपालकों को सहायता एवं छोटे ऋण बाबत जानकारी दी। चौपाल में राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक एस.एस. गहलोत ने ग्रामीण क्षेत्र में बैंक द्वारा दी जा रही सहायता और ऋण सुविधाओं से अवगत करवाया। नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक रमेश ताम्बिया ने किसान और पशुपालकों की शंकाओं का समाधान किया। उनके द्वारा किसानों को उत्पादक संगठन बनाकर, स्वयं सहायता समूह के रुप में तथा छोटे किसानों द्वारा संयुक्त देयता समूह बनाकर बैंक से जुडने पर अपने विचार व्यक्त किये। राजुवास के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने पशुपालन चौपाल का संयोजन करते हुए बताया कि ग्रामीण और राष्ट्रीयकृत बैंकों की ऋण सुविधा और सहायता योजनाओं से चौपाल के माध्यम से हजारों किसान-पशुपालक लाभान्वित हुए। इस चौपाल का विश्वविद्यालय के फेसबुक पेज पर सीधा प्रसारण किया गया जिसे पशुपालकों ने बड़ी संख्या में देखा और सुना। पशुपालकों को उनके सवालों के उचित जवाब देते हुए सभी बैंक वक्ताओं द्वारा समय समय पर पशुपालकों को बैंक से संपर्क करने तथा ऋण योजनाओं से लाभ प्राप्त करने हेतु उत्वाहवर्धन किया गया जिसका सभी श्रोताओं द्वारा सकारात्मक रुप से स्वागत किया और आशा की कि भविष्य में उनकों इस वेबिनार से प्राप्त जानकारी से लाभ मिलेगा। वेबिनार के अंतिम चरण में मुर्गीपालन के क्षेत्र में बीकानेर में भारतीय स्टेट बैंक से वित्तपोषित तथा भारत सरकार से अनुदानित हैचरी से बीकानेर के मुर्गीपालकों को होने वाले लाभ पर चर्चा हुई तथा पशुपालकों की आमदनी बढने में इससे होने वाली मदद पर भी राजूवास तथा नाबार्ड द्वारा मंथन कर पशुपालकों को इसकी जानकारी प्रदान की गई।