ईसीबी के विद्यार्थियों ने भीनासर के 10 साल से बंद बायोगैस प्लांट को किया चालू
इससे पहले भी ईसीबी के विद्यार्थियों ने कोरोनो महामारी से बचाने हेतु यंत्र बना बीकानेर को किया गौरवान्वित


बीकानेर। बीकानेर के भीनासर की मुरली मनोहर गौशाला में 10 साल से बंद बायोगैस प्लांट को अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के मैकेनिकल विभाग के विद्यार्थियों ने फिर से चालू कर दिया है। इसे प्राचार्य डॉ जयप्रकाश भामू, डॉ चंद्र शेखर राजोरिया, डॉ धर्मेंद्र सिंह एवं डॉ रवि कुमार के नेतृत्व में पुनः संचालित करने का कार्य प्रारम्भ किया। इस इकाई को साफ़ करके पुनः उपयोग हेतु आवश्यक कार्यवाही की गयी है।
बिना धुआं उत्पन्न किए जलती है बायोगैस
ज्ञात रहे की बायोगैस वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में लोकप्रिय है। यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है। यह पशुओं और स्थानीय रूप से उपलब्ध अपशिष्ठ से पैदा की जा सकती है जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने व प्रकाश व्यवस्था के लिए ऊर्जा आपूर्ति करने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है। वहीं पर्यावरण भी संरक्षित करता है। बायो गैस इसलिए भी बेहतर है क्योंकि यह सस्ता और नवीकृत ऊर्जा स्रोत है। बायो गैस में 75 प्रतिशत मिथेन गैस होती है जो बिना धुँआ उत्पन्न किए जलती है। लकड़ी, चारकोल तथा कोयले के विपरीत यह जलने के पश्चात राख जैसे कोई उपशिष्ट भी नहीं छोड़ती। विकासशील देशों के लिए यह फायदेमंद है क्योंकि इसे छोटे संयंत्रों में बनाया जा सकता है।
गौशाला प्रबंधन ने की सराहना
मुरली मनोहर गौशाला के मैनेजर सत्यनारायण राठी ने ईसीबी के छात्रों रोहित सुथार, सर्वेश्वर बिहारी, प्रशांत नाहर व ईसीबी प्रशासन की इस पहल की सराहना की है। राठी ने बताया कि वर्तमान में भीनासर गोशाला में 4 हजार व पड़ौस के गावों में 6000 गोवंश और उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि बायोगैस प्लांट की क्षमता 85 घन मीटर है। प्लांट से निकलने वाली गैस को सिलेंडर में भरे जाने की मशीन भी डेवलप हो गई है। इससे मिलने वाली गैस को शुद्धिकरण के पश्चात कंप्रेस करके सिलिंडर मैं भरा जा रहा है।
बायो गैस के ‘को प्रोडक्ट’ के भंडारण की चल रही है प्रक्रिया
इसके बायप्रोडक्ट जैसे की सल्फर डाई ऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड के भण्डारण की प्रक्रिया भी चल रही है। जिसको परिक्षण के उपरांत विभिन उपयोग में लाया जा सकेगा। प्लांट से निकलने वाली वेस्ट सामग्री एक बेहतरीन खाद के रूप में फसल के लिए उपयोगी होती है। वर्तमान में बायोगैस के साथ ही खाद की सुविधा भी किसानों को मिलेगी।
प्लांट की क्षमता बढ़ाने में प्रयासरत है ईसीबी
प्राचार्य जयप्रकाश भामू ने बताया कि वर्तमान में प्लांट की क्षमता को बढ़ा कर 1000 क्यूबिक मीटर करने तथा इसके लिये एक अलग बॉटलिंग प्लांट लगाने के लिए भी ईसीबी प्रयासरत है। प्रोजेक्ट तैयार कर विभिन्न सरकारी एजेंसीज से फंडिंग प्राप्त करने के लिये भेजा जा रहा है। इससे प्राप्त होने वाली गैस को बीकानेर जिले के भुजिया-पापड़, सिरेमिक, वूलेन इंडस्ट्रीज व स्थानीय बाजार में उपयोग में लाया जा सकेगा। साथ ही गौशाला की ज़रूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा। इससे होने वाली आय से गौशाला की आर्थिक स्तिथि भी सुदृढ़ होगी। यदि हमारा यह प्रयास सफल होता है तो इससे देशभर की अन्य गौशालाओ को भी प्रेरणा मिलेगी, जिससे न केवल यह आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से मजबूत होंगी अपितु पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान दे पाएगी।