ललकारा तो बीकानेर का मान रखने अखाड़े में कूद पड़े सत्तू पहलवान
बीकानेर । बीकानेर के महाराजा राव बीकाजी को जब ताना मारा गया तो अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उन्होंने बीकानेर शहर बसा दिया । कहते हैं कि बीकाजी को ताना सहन नहीं हुआ और उन्होंने बीकानेर की स्थापना करके ही चैन लिया । ऐसे में बीकाजी के बसाए शहर के जाये जन्मों को कोई चैलेंज करें तो वे कहां पीछे हटने वाले हैं। ऐसे ही हैं बीकानेर के सपूत सत्य नारायण व्यास। सत्य नारायण व्यास को लोग प्यार से सत्तू पहलवान कहते हैं । करीब दो ढाई दशक पहले अन्तर्राष्ट्रीय पहलवान मास्टर चंदगीराम बीकानेर आए थे । तब चंदगी राम ने डाॅ करणीसिंह स्टेडियम में कई पहलवानों को पछाड़ने के बाद स्टेडियम में मौजूद लोगों को ललकारा कि ‘है कोई और माई का लाल’ । ऐसे में जब कोई तैयार नहीं हुआ तो बीकानेर की आन बान और शान को रखने के लिए सत्तू पहलवान चैलेंज को स्वीकार करते हुए कुश्ती के अखाड़े में कूद पड़े । सत्तू पहलवान के इस साहस से पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। प्रसिद्ध बाॅडी बिल्डर एवं पश्चिम भारतश्री अवार्डी सत्तू पहलवान को गणतंत्र दिवस की 71वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में नगर निगम की महापौर सुशीला क॔वर ने शाॅल साफा एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया । इनका कहना है- मैंने चंदगी राम द्वारा करणी सिंह स्टेडियम में ललकारने पर चैलेंज स्वीकार किया और उसके चेले को प्रथम दाव में ही कुश्ती की रिंग से बाहर फेंक दिया था। मैं तो सिर्फ दारासिंह को देखने गया था कि अचानक ओपन कुश्ती के चैलेंज की ललकार को सुना तो स्टेडियम में कोई भी पहलवान खड़ा नहीं हुआ। तब मैं अपने गुरुजी के साथ वहीं पर था। गुरु जी रामदेव पहलवान की आज्ञा से चैलेंज स्वीकार किया और बीकानेर की कुश्ती का मान बरकरार रख पाया।