BikanerEducationRajasthan

एसकेआरएयू की नर्सरी में महकते 29 किस्म के एक लाख पौधे विक्रय के लिए तैयार

0
(0)

कुलपति ने देखी नर्सरी की व्यवस्थाएं

औषधीय पौधों पर दिया विशेष जोर
बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की नर्सरी द्वारा 29 किस्मों के लगभग एक लाख पौधे तथा डेढ़ हजार क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट विक्रय के लिए तैयार की गई है। इस बार सजावटी एवं औषधीय पौधों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
शनिवार को कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने नर्सरी का विजिट किया और यहां की व्यवस्थाएं देखी। उन्होंने कहा कि मरुस्थलीय क्षेत्र के मद्देनजर नर्सरी द्वारा खेजड़ी एवं बेर जैसे परम्परागत पौधे तथा मिर्च, टमाटर और बैंगन सहित अन्य सब्जियों की पौध अधिक से अधिक संख्या में तैयार की जाए। ग्रामीण विकास विभाग से समन्वय करते हुए मनरेगा एवं अन्य पौधारोपण कार्यक्रमों के तहत ऐसे पारम्परिक पौधे लगाने के प्रस्ताव लिए जाएं। विश्वविद्यालय की नर्सरी किसानों और गार्डनिंग करने वालों के लिए अधिक लाभदायक हो, इसके लिए सतत प्रयास हों।
उन्होंने नर्सरी में तैयार पौधों एवं इनकी उपलब्धता के बारे में जाना। नर्सरी की सफाई व्यवस्था को सराहा तथा इसे बरकरार रखने के निर्देश दिए। यहां कार्यरत श्रमिकों से बातचीत की तथा वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर सोशल डिसटेंसिंग रखने को कहा। उन्होंने कहा कि कृषि के प्रति रुझान रखने वाले लोगों एवं विद्यार्थियों को नर्सरी का विजिट करवाया जाए। उन्होंने प्रत्येक किस्म के पौधों के पास उनकी नाम पट्टिका लगाने को कहा।
तैयार हैं यह पौधे
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय की नर्सरी में शीशम, नीम, करंज, बरायण, अर्जुन, बोगनविलिया, चांदनी, मोगरा, रातरानी, हरसिंगार, पीपल, बड़, चमेली, गुलमोहर, नागचंपा, बेर, खेजड़ी, नींबू, अनार, आम, खजूर, आंवला, जामुन, पपीता, गूंदा, मीठा नीम, शहतूत, करौंदा आदि के पौधे तैयार किए गए हैं। इसी प्रकार अश्वगंधा, शतावरी, सेंजना, गिलोय, गूलर, एलोवेरा, पत्थरचट्टा, अर्जुन, जामुन, वज्रदंती, अरंजा आदि औषधीय महत्त्व के पौधों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। भू सदृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशालय के निदेशक प्रो. सुभाष चंद्र ने बताया कि नर्सरी द्वारा अब तक कृषि अनुसंधान केन्द्र को लगभग एक लाख तथा केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान को साठ हजार रुपये की वर्मीकम्पोस्ट विक्रय की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि रविवार को भी नर्सरी खुली रहेगी।

विद्यार्थियों एवं गुणवत्तायुक्त बीजों से है विश्वविद्यालय की पहचानः कुलपति
सीड प्रोडक्शन की वर्चुअल रिव्यू मीटिंग आयोजित
बीकानेर। राष्ट्रीय बीज परियोजना के तहत सीड प्रोडक्शन (खरीफ-2020) की वर्चुअल रिव्यू मीटिंग शनिवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
बैठक में विश्वविद्यालय के सात कृषि विज्ञान एवं दो कृषि अनुसंधान केन्द्रों तथा एक उपकेन्द्र के प्रतिनिधि वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुडे़ रहे। इस दौरान कुलपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय की पहचान यहां के विद्यार्थियों और गुणवत्तायुक्त बीजों से है। यहां से उपाधि प्राप्त विद्यार्थी, देश और दुनिया में विश्वविद्यालय की पहचान बनाता है। इसी प्रकार किसानों के खेतों तक पहुंचा बीज, उनकी आमदनी बढ़ाने में सहयोगी साबित होता है। बीज उत्पादन, विश्वविद्यालय की साख से जुड़ा विषय है। इसका बेहतर प्रबंधन होना चाहिए।
कुलपति ने कहा यह हमारे लिए गए गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय की बीज उत्पादन इकाईयों में उत्पादित बीजों की मांग पूरे देश में रहती है। इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय की सभी बीज उत्पादन इकाईयां पूर्ण गंभीरता से कार्य करें। उच्च गुणवत्तायुक्त बीज पैदा किए जाएं तथा किसानों की मांग पूरी करने के प्रयास हों। उन्होंने प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा ‘सीड डे’ और ‘फील्ड डे’ मनाऐ जाने के निर्देश दिए तथा कहा कि इस दौरान पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध रहें।

प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा तथा अनुसंधान निदेशक डाॅ. पी. एस. शेखावत ने बीज उत्पादन की स्थिति एवं विश्वविद्यालय की भागीदारी के बारे में बताया। अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान (बीज) प्रो. एन. के. शर्मा ने प्रत्येक बीज उत्पादन इकाई को दिए गए लक्ष्यों के बारे में बताया। प्रो. ए. के. शर्मा, प्रो. यू. एस. शेखावत, डाॅ. पी. सी. गुप्ता, डाॅ. एस. आर. यादव आदि ने भी विचार रखे। पांच जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं अनुसंधान केन्द्रों के प्रतिनिधियों द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रगति की जानकारी दी गई।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply