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सुनो सीएम साहब जब पड़ोसी राज्य से महंगा होगा तो कौन खरीदेगा हमारा माल

बीकानेर। बीकानेर के कारोबारी जब लंबे समय से मंडी शुल्क खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं फिर भी राज्य की सरकार उनकी साधारण सी बात को समझ नहीं पा रही है। उल्टा सरकार ने 1% कृषक कल्याण को शुल्क और थोप दिया। कारोबारी बार-बार चिल्ला रहे की मंडी टैक्स पड़ोसी राज्य दिल्ली से बहुत ज्यादा होने के कारण उनका माल कोई नहीं खरीदेगा तो ऐसे में सरकार को या तो इन कारोबारियों की मांग को पूरा करना होगा या उन्हें स्पष्ट बताना होगा कि सरकार अमुक अमुक कारणों से मंडी टैक्स कम नहीं कर सकती। कोरोना काल में सरकार का यदि कोई सहयोग कर रहा है तो वह कारोबारी वर्ग है बीकानेर के कारोबारी सरकार के साथ खड़े हैं लेकिन संकट की स्थिति में सरकार कहां खड़ी है इस का जवाब सरकार को देना होगा धरातल की बात करें तो सरकार को मंडी टैक्स पूरी तरह से हटा देना चाहिए और कारोबारियों को विश्वास दिलाना चाहिए कि सरकार उनके साथ खड़ी है वरना सरकार की नियत पर संदेह बरकरार रहेगा। शुक्रवार को बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया एवं बीकानेर दाल मिल्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयकिशन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भिजवाकर राज्य सरकार द्वारा कृषि उपज पर मंडी शुल्क के साथ साथ 1 प्रतिशत कृषक कल्याण शुल्क लगाने का विरोध जताया और बताया कि राज्य के कृषि आधारित उद्योग पहले से ही बुरी स्थिति से गुजर रहा है । पड़ोसी राज्यों में मंडी शुल्क कम है तथा दिल्ली में मंडी शुल्क नहीं होने से राज्य की कृषि उपज जैसे मोठ, मूंग, चना आदि अधिकाँश दिल्ली व अन्य राज्यों में जाकर तैयार माल (प्रोसेसिंग की गई दालें) वापस राज्य में आकर बिक्री होती है। राजस्थान में मंडी शुल्क की दर अधिक होने से यहाँ की इकाइयां पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्द्धा में पिछड़ रही है । वर्तमान में कृषक कल्याण शुल्क का अतिरिक्त भार लगाने से यहाँ की इकाइयों को उत्पादन कर विक्रय कर पाना संभव नहीं होगा। कोविड-19 के कारण राज्य का औद्योगिक उत्पादन चक्र वैसे ही टूटा हुआ है और उसके साथ सरकार द्वारा इस तरह का निर्णय राज्य में औद्योगिक उत्पादन ठप होने के साथ बेरोजगारी को बढावा देने वाला होगा।

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