उत्सर्जन मानकों को कठोर बना वातावरण को प्रदूषण मुक्त किया जाना जरूरी : डॉ. वर्मा
ईसीबी में “बायो एनर्जी व इनकी प्रोद्योगिकी ” विषयक पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का हुआ समापन
बीकानेर। अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के मैकेनिकल विभाग तथा राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “बायो एनर्जी व इनकी प्रोद्योगिकी ” विषय पर पांच दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन वेबेक्स एप के माध्यम से हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि व प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता क्वीन्सलैण्ड यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया के एयर क्वालिटी साइंटिस्ट डॉ पुनीत वर्मा ने ने डीजल इंजन से निकलने वाले सूट पार्टिकल्स के आकार, संरचना व ऑक्सीजन की भूमिका पर चर्चा करते हुए प्रदुषण व मनुष्य पर इसके प्रभाव के बारे में बताया। विश्व भर में ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए उत्सर्जन मानकों को कठोर बनाकर वातावरण को प्रदूषण मुक्त किया जा रहा है। इसलिए नैनो स्केल पर कणों का अध्ययन अति आवश्यक हो गया है।
दूसरे सत्र में आईआईटी दिल्ली के डॉ वन्दित विजय ने ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए ग्राम ऊर्जा स्वराज मॉडल पर विचार रखे। जो की गांधीजी के ग्राम स्वराज के सपने पर आधारित है। भारत में अब तक लगभग सभी गाँवों का विद्युतीकरण किया जा चुका है व 70 % ऊर्जा की आपूर्ति बायो फ्यूल के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया की बायो एनर्जी को सोलर के साथ हाइब्रिड सिस्टम के रूप में उपयोग किया जा सकता है। इसी क्रम में रूड़की के डॉ सिद्धार्थ जैन ने एलगी बायोमास का इंजन फ्यूल के निष्पादन मूल्यांकन पर प्रकाश डाला और इसके इन सीटू ट्रांसएस्टरीफिकेशन के बारे में बताया। एनआईटी कुरुक्षेत्र के प्रो सथंस ने अक्षय ऊर्जा के परिपेक्ष्य में प्रतिभागियों को बताया।
प्राचार्य डॉ भामू ने ईसीबी परिसर को सोलर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के लिए किये जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया की परिसर में बायोमास से ऊर्जा बनाने का संयंत्र बनाया जायेगा। डॉ ओ.पी. जाखड़ ने बताया कि टेक्विप-III के माध्यम से आयोजित की जा रही ट्रेनिंग में देश भर के 400 शोधार्थियों ने लाभ उठाया। उन्होंने यह भी बताया की रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग से वातावरण को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है।
विभागाध्यक्ष डॉ सी एस राजोरिया ने बताया की ऊर्जा के क्षेत्र में देशभर में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की दिशा बदली जा सकती है व हम महाविद्यालय के शोधार्थियों को इस ओर प्रेरित कर रहे हैं। कोऑर्डिनेटर डॉ धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि इस ट्रेनिंग में न केवल देश बल्कि विदेश से भी विशेषज्ञों ने ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान दिए जिससे प्रतिभागियों को एक ही पटल पर बायो ऊर्जा के क्षेत्र में देश विदेश में किये जा रहे शोध की विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई ।
डॉ रजनीश व डॉ रवि कुमार ने ट्रेनिंग में भाग लेने वाले प्रतिभागियों व विशषज्ञों का आभार व्यक्त किया व समय की ज़रूरत को देखते हुए ऊर्जा के क्षेत्र में इस तरह के अन्य कार्यक्रमों के आयोजन पर ज़ोर दिया जिससे युवा इंजीनियर अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके।