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संस्कृत प्राध्यापक की भर्ती में सामान्य प्राध्यापक की तरह आचार्य उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को योग्य मानने की मांग

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बीकानेर। राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी महासंघ लोकतांत्रिक के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष बनवारी लाल शर्मा ने राज्य के संस्कृत शिक्षा विभाग में प्राध्यापक भर्ती में सामान्य प्राध्यापक भर्ती की तरह आचार्य उत्तीर्ण योग्यता रखने वाले सभी अभ्यर्थियों को योग्य मानने कि मांग को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री, संस्कृत शिक्षा मंत्री, संस्कृत शिक्षा निदेशक एवं आरपीएससी सचिव को ज्ञापन भेजा है। प्रदेशाध्यक्ष सूरज प्रकाश टाक ने ज्ञापन में बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा संस्कृत शिक्षा विभाग में प्राध्यापक पद के लिए विज्ञापन संख्या-10 दिनांक 29 मार्च 2018 को जारी किया गया था। जिसमें योग्यता आचार्य व समकक्ष मे 48 % से उत्तीर्ण एवम् द्वितीय श्रेणी रखी गई है।
जबकि सामान्य शिक्षा में प्राध्यापक पद की योग्यता स्नातकोत्तर उत्तीर्ण ही है।यानि 36% प्राप्तांक प्राप्त अभ्यर्थी योग्य है। सरकार एवं विभाग ने एक ही राज्य मे,समान पद,समान काम, समान वेतन,समान लेवल -12,समान ग्रेड-पे होते हुए भी एक में योग्यता में 48 प्रतिशत अंकों की बाध्यता तथा दूसरे में पास की योग्यता(36%) रखी जाना न्यायोचित नहीं है। ये अभ्यार्थियों का संविधान प्रदत्त समानता के अधिकारों का उल्लंघन है, जिससे भविष्य मे न्यायिक प्रक्रिया मे उलझने की सम्भावना से नकारा नही जा सकता है। महासंघ के प्रदेश सचिव चंद्रेश गहलोत ने मांग की है कि अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उक्त पदो के लिए योग्यता को सामान्य शिक्षा के बराबर आचार्य या समकक्ष उत्तीर्ण की योग्यता रखी जाये तो न्यायोचित होगा।

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