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…बस, चलते जाना

लॉक डाउन-3 अब अपने अंतिम चरण में है। शायद आज, नहीं तो कल नई एडवाइजरी जारी हो जाएगी। कोरोना के भीषण डर के बीच, यह नई उम्मीदें भी लाएगी। अनेक छोटे-छोटे व्यवसाय, जो अब तक बंद रहे, शायद खुल जाएं। अब तक रुका पड़ा जीवन, मद्धम गति से ही सही, पर चले तो सही। क्योंकि, चलना ही तो जिंदगी है। …..बस, चलते जाना। गतिहीन हो जाना, अकर्मण्यता की निशानी है। परिस्थितियों से घबराना, हारने जैसा है।
ऐसी स्थिति में कोरोना का मुकाबला करना और प्रत्येक व्यक्ति को ‘योद्धा’ बनना होगा। ऐसा योद्धा जो, खुद कोरोना रूपी शत्रु से लड़े और जरूरत पड़ने पर दूसरों की रक्षा भी करे। लेकिन कोरोना से दो-दो हाथ करने से पहले, प्रत्येक योद्धा को सशक्त होना होगा। ‘इम्युनिटी’ बढ़ाकर आंतरिक मजबूती लानी होगी। मास्क और सेनेटाइजर के उपयोग के साथ ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ रखते हुए बाहरी रूप से मजबूत होना पड़ेगा। हमें हर वह तरीका आजमाना होगा जो कोरोना को नेस्तनाबूद कर सके।
वैसे हम सभी जानते हैं, यह चुनौती भीषण है, इसके बावजूद पीठ दिखाकर इतिश्री कर लेना भी कोई उपाय नहीं है। आज विश्व स्वास्थ्य संग़ठन और चिकित्सा मंत्रालय भी कोरोना के साथ ही जीने की पैरवी कर रहा है।
हालांकि, आज से पहले भी ऐसी कई बाधाएं आई, जिनसे हमारी राह प्रभावित हुई। जिसने हमारी गति रोक दी, लेकिन यह अंधेरा छटा और इसके बाद हुई भोर ने धीरे-धीरे जनजीवन फिर सामान्य कर दिया।
बेहद कटु अनुभवों के बीच, इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराएगा। मनुष्य के संकल्प के सामने ‘कोरोना’ को रोना पड़ेगा। आज तक आदमी के समक्ष कितनी चुनौतियां आईं, तो मौजूदा विपदा तो है ही क्या? पर यह तभी होगा, जब हममें से हर कोई ‘वारियर्स’ बनेगा। वह योद्धा, जो बचाव रूपी अस्त्र-शस्त्र के साथ मैदान में उतरेगा, खुद भी बच जाएगा और अपने परिवार, समाज और देश को सुरक्षित रखने में उसकी महत्ती भूमिका होगा।

©हरि शंकर आचार्य, सहायक निदेशक जनसंपर्क विभाग, बीकानेर
फ़ोटो-साभार Manish Kumar Joshi और Aapka MP Manish Pareek जी की वाल से
हरि कहे सो खरी-8

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