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एनआरसीसी में “हिन्दी भाषा” विषयक राजभाषा कार्यशाला आयोजित

बीकानेर, 26 सितम्बर। भाकृअनुप – राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर में हिन्दी चेतना मास के अंतर्गत शुक्रवार को “हिन्दी भाषा: व्याकरणिक एवं अध्यात्म की दृष्टि से” विषय पर राजभाषा कार्यशाला आयोजित की गई।

कार्यशाला की मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. चंचला पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि विचारों एवं मनोभावों की अभिव्यक्ति के लिए भाषा जीवन का अनिवार्य अंग है। उन्होंने हिन्दी के शुद्ध प्रयोग पर बल देते हुए कहा कि बोलचाल में अशुद्धियाँ स्वीकार्य हो सकती हैं, किंतु लेखन में इन्हें टालना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी संस्कृति विविध चमत्कारों से परिपूर्ण है और भारत जैसे विशाल देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए हिन्दी को विशेष महत्व देना चाहिए।

केन्द्र के निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने कहा कि यदि भाषा न होती तो मानव जीवन की कई धारणाएँ और आवश्यकताएँ अस्तित्व में ही नहीं आतीं। उन्होंने विज्ञान की प्रगति के साथ भाषा संबंधी जटिलताओं के सहज और स्पष्ट होने की बात कही तथा हिन्दी की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर राजभाषा नोडल अधिकारी डॉ. राकेश रंजन ने कार्यशाला के उद्देश्य एवं महत्व की जानकारी दी और हिन्दी चेतना मास के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों का परिचय कराया।
कार्यक्रम का संचालन श्री नेमीचन्द बारासा, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश कुमार पूनियां, तकनीकी अधिकारी द्वारा किया गया।

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