आम जनता और भामाशाहों की भूमिका: सामूहिक जिम्मेदारी से साकार होगा सपना
गोचर भूमि का संरक्षण केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह आम जनता और भामाशाहों की भी नैतिक जिम्मेदारी है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग यदि इस भूमि को अपनी धरोहर मानकर सहयोग करें तो इसकी वास्तविक सुरक्षा संभव हो सकती है।



स्थानीय लोग छोटे-छोटे प्रयासों से बदलाव ला सकते हैं। जैसे गांव के स्तर पर गोचर रक्षा समितियां बनाई जाएं, जो अतिक्रमण रोकें और नियमित सफाई-देखभाल करें। साथ ही, पशुपालक परिवार यदि चराई पर नियंत्रण रखें और बारी-बारी से गोचर का उपयोग करें तो भूमि की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहेगी।
भामाशाह और दानदाताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। वे जलकुंड, चारागाह विकास, ट्यूबवेल या वृक्षारोपण जैसी योजनाओं में आर्थिक सहयोग देकर समाज को मजबूत कर सकते हैं। राजस्थान में कई उदाहरण हैं जहां दानदाताओं ने गांवों में गौशालाएं और चारा भंडार बनवाए, जिससे संकट के समय बड़ी मदद मिली।
यदि आम जनता और भामाशाह मिलकर जिम्मेदारी निभाएं, तो गोचर भूमि केवल पशुधन का सहारा नहीं बल्कि सामाजिक एकजुटता और आर्थिक समृद्धि का प्रतीक भी बन सकती है।