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श्वास और सचेतनता से जीवन में संतुलन, ध्यान से संभव कायाकल्प

डूंगर महाविद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला:

बीकानेर। डूंगर महाविद्यालय के व्योम केंद्र में शनिवार को ‘द पावर ऑफ ब्रेथ एंड माइंडफुलनेस’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हुई। इसमें लगभग 80 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और श्वास एवं सजगता (माइंडफुलनेस) की शक्ति को समझा।

अंतरराष्ट्रीय योग विशेषज्ञ और माइंडफुलनेस कोच डॉ. शिवादित्य पुरोहित ने प्राचीन माइंडफुल ब्रीदिंग तकनीक का प्रशिक्षण देते हुए बताया कि नियमित अभ्यास से मानसिक शांति, एकाग्रता और आत्मिक ऊर्जा में गहरा परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा—“वर्तमान क्षण में पूर्णतः उपस्थित रहना और विचारों व भावनाओं को सहज स्वीकार करना ही जीवन जीने की सच्ची कला है।”

गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. विमला डुकवाल ने कहा कि सजग श्वास और एक्यूप्रेशर से व्यक्ति भावनात्मक नियंत्रण पा सकता है, जिससे चिंता और घबराहट जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।

महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. राजेंद्र पुरोहित ने योग और ध्यान की प्राचीन परंपरा पर प्रकाश डालते हुए इसे जीवन का अमूल्य साधन बताया। व्योम समन्वयक डॉ. दिव्या जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया।

व्योम केन्द्र योग प्रमुख एवं संयोजक डॉ. सुखराम ने कहा कि श्वास ही जीवन का आधार है, और यदि इसे सजग होकर साध लिया जाए तो अधिकांश जटिलताओं पर सहजता से विजय पाई जा सकती है।

आयोजन सचिव डॉ. सुनीता मंडा व अर्चना पुरोहित तथा सह-संयोजक डॉ. निर्मल रांकावत ने कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

कार्यशाला में वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. अनिला पुरोहित, डॉ. श्यामा अग्रवाल, डॉ. ललिता यादव, डॉ. बिंदु भसीन, डॉ. सुनीता गोयल, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. राजकुमार ठठेरा, डॉ. ललित कुमार वर्मा, डॉ. केसरमल, डॉ. विश्वप्रभा, डॉ. सुषमा सोनी शर्मा, डॉ. मैना निर्वाण और डॉ. सरिता स्वामी सहित अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।

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