जनजातीय क्षेत्र मोटा मायंगा में एनआरसीसी बीकानेर द्वारा कृषक-वैज्ञानिक संवाद एवं पशु स्वास्थ्य जागरूकता शिविर आयोजित
बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत प्रतापगढ़ जिले के मोटा मायंगा गांव में कृषक-वैज्ञानिक संवाद एवं पशु स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इंडियन फार्म फोरेस्ट्री डवलपमेंट को-ऑपरेटिव लिमिटेड, प्रतापगढ़ के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में 110 से अधिक जनजातीय परिवारों ने भागीदारी निभाई।



शिविर के दौरान कुल 535 पशुओं—गाय (125), बैल (121), भैंस (91), बकरी (173), बकरा (23) व भेड़ (2)—की चिकित्सा की गई तथा उन्हें रोगों से बचाव हेतु दवाइयां एवं किट वितरित की गईं। संवाद सत्र में पशुपालकों ने पशु स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं वैज्ञानिकों के समक्ष रखीं, जिनका समाधान现场 पर ही दिया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व केन्द्र निदेशक अनिल कुमार पूनिया ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय उप-योजना के तहत पशुपालकों को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक जानकारी प्रदान कर उनके व्यवसाय को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की जानकारी से पशुपालक अपने पशुओं से बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
वरिष्ठ वैज्ञानिक रतन चौधरी ने पशुपालकों को कृषि और पशुपालन के बीच समन्वय की आवश्यकता बताते हुए उन्हें समन्वित कृषि मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर बल दिया।
टीएसपी योजना के नोडल अधिकारी श्याम चौधरी ने पशु रोग प्रबंधन, रोकथाम, और देखभाल पर जानकारी दी। साथ ही सहभागियों को तिरपाल, कीटनाशक छिड़काव हेतु बैटरी चालित स्प्रे मशीन, दूध टंकी, टब, चारा व पशु दवाएं/किट जैसी सुविधाएं भी प्रदान की गईं।
गांव के सरपंच शान्तिलाल ने एनआरसीसी का आभार जताते हुए शिविर को ग्रामीणों के लिए उपयोगी बताया। आईएफडीसी की वरिष्ठ परियोजना अधिकारी संतोष चौधरी ने केंद्र व राज्य सरकार की जनजातीय कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी और ग्रामीणों को उनका लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कार्यक्रम का संचालन भी किया।
कार्यक्रम में निलेश ने कृषि में नवीनतम तकनीकों और सतत कृषि पद्धतियों पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर ग्रामीण महिलाओं द्वारा सांस्कृतिक गीत और लोकनृत्य की प्रस्तुति ने आयोजन को जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम की सफलता में एनआरसीसी के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अखिल ठुकराल, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी मनजीत सिंह, तकनीकी अधिकारी जितेन्द्र कुमार, सहायक प्रशासनिक अधिकारी राजेश चौधरी, हरजिंदर और नरेन्द्र का सराहनीय योगदान रहा।