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बीकानेर में सिंधी गौरव का शाही सम्मान: लाखों की भाषा-संस्कृति का अनमोल उत्थान

क्या है इस भव्य आयोजन का संदेश?

बीकानेर। सिंधी भाषा और संस्कृति के संवर्धन में जुटे समर्पित शिक्षकों और समाजसेवियों के सम्मान में बीकानेर ने एक ऐतिहासिक आयोजन किया, जिसने विस्थापन के दर्द को गौरव में बदलने की प्रेरणा दी। अमरलाल मंदिर ट्रस्ट बहराना मंडली और भारतीय सिंधु सभा के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस समारोह में सिंधी समाज की परंपरा, पहचान और पुरुषार्थ को शाही सम्मान मिला। कार्यक्रम का कुशल संचालन के कुमार आहूजा ने किया।

सिंधी गुरुओं का सम्मान, मेहनत को मिला सम्मान का मुकाम
बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी और समाजसेवी सुधा आचार्य की गरिमामयी उपस्थिति में सिंधी भाषा व संस्कृति के अध्यापकों – सुरेश केसवानी, नीता समतानी, कांता वाधवानी, भारती गुवालानी, कांता हेमनानी, पवन खत्री, रीता भल्ला, रोहिताश कुमार, अनिल डेंबला और दीपा केसवानी – को शॉल, स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

भाषा-संस्कार के योद्धाओं को समाज का नमन
सुधा आचार्य ने सिंधी समाज की समृद्ध विरासत और योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह समाज विस्थापन के बाद भी अपने संस्कारों और मेहनत से नई पहचान बना रहा है। विधायक सिद्धि कुमारी ने सिंधी समाज को मेहनती और संस्कारी बताते हुए कहा कि यह समाज अपने पुरुषार्थ से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने युवाओं को अपनी भाषा और संस्कृति से जुड़ने का संदेश दिया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में झलकी श्रद्धा और गौरव की झलक
कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट अध्यक्ष सतीश रिझवानी, दीपक आहूजा, किशन सदारंगानी, रमेश केसवानी, नानक हिंदुस्तानी और पदमा टिलवानी ने शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। ईश्वर गोरवानी और राजू मोटवानी ने श्रीश्याम व झूलेलाल के भजन प्रस्तुत कर श्रद्धा का वातावरण रच दिया।

सामूहिक सहभागिता से सफल बना आयोजन
मान सिंह मामनानी, हंसराज मूलचंदानी, अशोक खत्री, मनोज विधानी, कमल वासवानी और पीतांबर सोनी ने माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत किया। समाज में उल्लेखनीय कार्य करने वाले कमलेश खत्री, माधुरी मामनानी और रेखा वाधवानी को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना आयोजन
कार्यक्रम के अंत में के कुमार आहूजा और सुरेश केसवानी ने सभी सहयोगियों, अतिथियों और समाज के प्रबुद्ध जनों का आभार जताया। यह आयोजन सिंधी भाषा-संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में मील का पत्थर बना, जिसने समाज को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़कर एक उज्ज्वल भविष्य की राह दिखाई।

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