शिक्षा विभाग की दायित्व निर्धारण कमेटी पर उठे सवाल, संघर्ष समिति ने जताई आपत्ति
बीकानेर, 15 जुलाई।
शिक्षा विभाग के संस्थापन एवं प्रशासनिक अधिकारियों तथा प्रधानाचार्य समकक्ष के दायित्व निर्धारण हेतु गठित तीन सदस्यीय कमेटी पर अब मंत्रालयिक कर्मियों की संघर्ष समिति ने गंभीर आपत्ति जताई है। समिति के प्रदेश संयोजक गोविन्द नारायण श्रीमाली ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, शासन सचिव श्री कृष्ण कुणाल और संयुक्त शासन सचिव शिक्षा (ग्रुप-2) को पत्र लिखकर कमेटी के पुनर्गठन की मांग की है।



संघर्ष समिति का कहना है कि जयपुर स्थित शासन सचिवालय स्तर पर गठित इस कमेटी में केवल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ही शामिल किया गया है, जबकि दायित्व निर्धारण जैसे गंभीर विषय में वित विभाग, प्रशासनिक सुधार विभाग तथा कार्मिक विभाग के विशेषज्ञ प्रतिनिधियों की मौजूदगी आवश्यक है। समिति ने यह भी तर्क दिया कि आर.एस.आर. नियम 1951 के तहत संस्थापन अधिकारी राजपत्रित माने जाते हैं और उनके कार्य निर्धारण में अन्य विभागों की भूमिका भी अनिवार्य है।
श्रीमाली ने यह भी कहा कि जब शिक्षा अधिकारियों के संवर्ग से संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा जयपुर को कमेटी में शामिल किया गया है, तो मंत्रालयिक संवर्ग का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि निर्णय संतुलित और सम्यक रूप से लिए जा सकें।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि जब तक समिति में अन्य विभागों और मंत्रालयिक संवर्ग के प्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया जाता, मंत्रालयिक कार्मिकों का आंदोलन जारी रहेगा।
यह मांग एफ22 (16) शिक्षा-1/2025-32168-7768082 दिनांक 14 जुलाई 2025 के परिप्रेक्ष्य में उठाई गई है, जिसमें वर्तमान व्यवस्था को पूर्व की स्थिति (दिनांक 01.06.2020) के अनुसार यथावत रखने की बात कही गई है।
संघर्ष समिति ने अपने ज्ञापन में यह आग्रह किया है कि समिति के निर्णय भविष्य में किसी भी रूप में नियमों का उल्लंघन न करें और सभी संवर्गों को न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व मिले।