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बीकानेर की सबसे बड़ी कॉलोनी की अनदेखी – मुरलीधर व्यास नगर

आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित

बीकानेर। बीकानेर शहर की सबसे बड़ी और सुव्यवस्थित रूप में बसाई गई कॉलोनियों में शुमार मुरलीधर व्यास नगर आज भी अनेक बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। लोकप्रिय पूर्व विधायक एवं जननायक स्वर्गीय मुरलीधर व्यास के नाम पर बीकानेर के पश्चिमी छोर पर विकसित की गई इस कॉलोनी की नींव तत्कालीन नगर विकास न्यास के चेयरमेन स्वर्गीय मक्खन जोशी के कार्यकाल में रखी गई थी। बावजूद इसके, यह कॉलोनी अब तक उपेक्षा का शिकार बनी हुई है।

जनविकास की उम्मीदें धूमिल

बीकानेर सेवा योजना के अध्यक्ष राजकुमार व्यास ने चिंता जताते हुए कहा कि कॉलोनी की बसावट के समय जिस विकास की परिकल्पना की गई थी, वह आज तक अधूरी है। नियमानुसार किसी भी कॉलोनी की भूमि विक्रय से प्राप्त आय का एक भाग उसी क्षेत्र के विकास में लगाया जाना चाहिए, लेकिन मुरलीधर व्यास नगर के मामले में ऐसा नहीं हुआ। यहां की आय अन्य कार्यों में खर्च कर दी गई और कॉलोनी विकास से वंचित रह गई।

पानी, जलभराव और कानून व्यवस्था बनी चुनौती

राजकुमार व्यास ने बताया कि कॉलोनी की सबसे गंभीर समस्या जल संकट है। यहां के निवासियों को रोज़ पानी की समस्या से जूझना पड़ता है, लेकिन अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। इसके साथ ही, परशुराम द्वार क्षेत्र, जो कॉलोनी का हृदयस्थल माना जाता है, वहां 20 से 25 मिनट की बारिश में ही भारी जलभराव हो जाता है जिससे राहगीरों का निकलना तक मुश्किल हो जाता है।

कानून व्यवस्था की स्थिति भी बेहद खराब है। आए दिन चोरी, असामाजिक तत्वों की गतिविधियाँ और पुलिस गश्त की कमी ने यहां के लोगों की नींद उड़ा रखी है। निवासियों का कहना है कि वे अपनी व्यथा सुनाने के लिए किसी प्रतिनिधि या जननेता के पास जाएं भी तो कौन सुने? आज की स्थिति को फिल्मी गीत की पंक्तियों से बयां किया जा रहा है – “किसको सुनाएं दास्तां, किसको दिखाएं दिल के दाग, जाऊं कहां कि दूर तक जलता नहीं कोई चिराग।”

स्थानीय नेतृत्व की चुप्पी सवालों के घेरे में

व्यास ने यह भी कहा कि कॉलोनी की समस्याओं को लेकर कभी किसी जनप्रतिनिधि या स्थानीय नेता ने आवाज नहीं उठाई। बीकानेर के अन्य क्षेत्रों में सुविधाएं बढ़ाई जाती रहीं, पर मुरलीधर व्यास नगर को हमेशा नजरअंदाज किया गया।समाधान नहीं, केवल आश्वासन वर्तमान में कॉलोनी के हजारों निवासी मूलभूत सुविधाओं की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वे चाहते हैं कि यहां की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए और इस उपेक्षित क्षेत्र को वास्तव में ‘सुविकसित कॉलोनी’ का दर्जा दिलाया जाए।

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