Bikaner

श्रीकृष्ण की हर लीला मनुष्य जीवन को देती है सीख : धर्मेश महाराज

श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का हुआ वर्णन, शिवसत्यनाथ महाराज ने दिए आशीर्वचन

बीकानेर। भीनासर स्थित गौरक्षधोरा के नखत बन्ना मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन धर्मेश महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने बताया कि गोपियों के नि:स्वार्थ प्रेम से प्रसन्न होकर भगवान ने अद्भुत लीलाएं रचीं। बाल सखाओं और गोपियों के संग रास लीला, माखन चोरी करते समय पकड़े जाने पर मासूमियत से बोले — “मैं नहीं माखन खायो”।

गोपियों का प्रेम अत्यंत ऊंचा बताया गया, जो कृष्ण के वियोग में गीत गातीं और उपवास व्रत कर कात्यायनी देवी की आराधना करती थीं, ताकि वे कभी कृष्ण से अलग न हों। कथा में बताया कि कंस द्वारा भेजे गए पूतना, तृणावर्त, अघासुर, बकासुर और धेनुकासुर जैसे राक्षसों का उद्धार कर भगवान ने धर्म की रक्षा की। धर्मेश महाराज ने कहा कि जब परमात्मा से कोई नाता जोड़कर भक्ति की जाती है तो वह शीघ्र फल देती है। जैसे ही मन में यह भाव आता है कि परमात्मा मेरे हैं, वहीं से अनन्य प्रेम प्रारंभ हो जाता है।

कथा में वर्णन आया कि श्रीकृष्ण की लीला से ब्रह्मा तक मोह में पड़ गए। गोवर्धन पूजा कर प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। कृष्ण को वास्तविक प्रेम का प्रतीक बताया गया। माखन चोरी, गोवर्धन पूजा जैसी बाल लीलाओं की झांकी देख भक्त भावविभोर हो गए। अंत में भगवान की आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।

गौरक्षधोरा पीठाधीश्वर योगी रामनाथ महाराज ने बताया कि कथा के दौरान नवलेश्वर मठ के शिवसत्यनाथ महाराज ने भी प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि जीवन में सत्संग ही एक ऐसा साधन है जिससे सभी दु:ख दूर होते हैं। प्रभु नाम सुमिरन से मोह, माया, लोभ, क्रोध जैसे विकारों से मुक्ति मिलती है।आयोजन से जुड़े प्रवीण भाटी ने बताया कि 10 जुलाई को गौरक्षधोरा में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

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