‘चलती-फिरती फार्मेसी’ है ऊँटनी का दूध
भाकृअनुप–राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र ने मनाया 42वां स्थापना दिवस



बीकानेर। भाकृअनुप–राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर ने शनिवार को अपना 42वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर केन्द्र के सेवानिवृत्त एवं वर्तमान वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी) के अंतर्गत बीकानेर जिले के 12 गांवों से आए 49 पशुपालकों ने सहभागिता की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अनिल कुमार दीक्षित, सहायक महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मुख्यालय (पीआईएम), नई दिल्ली ने संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि यह केन्द्र ऊँट अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है। उन्होंने ऊँटनी के दूध की पोषणात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए पशुपालकों को स्वयं सहायता समूह बनाकर विपणन के प्रयासों को बढ़ाने और नाबार्ड जैसी संस्थाओं से सहयोग लेने की सलाह दी। उन्होंने ऊँट बोर्ड गठन, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और पशुधन प्रबंधन में सक्रिय भागीदारी को भी आवश्यक बताया।
कार्यक्रम अध्यक्ष एवं केन्द्र निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने कहा कि “ऊँट एक चलती-फिरती फार्मेसी है,” अतः उसकी संख्या और उपयोगिता में वृद्धि आज की आवश्यकता है। उन्होंने ऊँटनी के दूध से बने उत्पादों, सामाजिक जागरूकता और प्रौद्योगिकी विकास की चर्चा करते हुए युवा उद्यमियों को स्टार्टअप प्रारंभ करने की प्रेरणा दी।
विशिष्ट अतिथि डॉ. यशपाल, निदेशक, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार ने कहा कि मशीनीकरण से ऊँटों की पारंपरिक भूमिका में कमी आई है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह व्यवसाय अब भी लाभकारी हो सकता है।
इस अवसर पर तीन महत्वपूर्ण प्रकाशनों –
‘शुष्क क्षेत्र में पशुओं के लिए टिकाऊ चारा एवं चरागाह पद्धतियां’ (विस्तार पत्रक)‘
ए गाइड टू इन्फेक्शस कैमल डिजीज’ (पुस्तक)
‘उष्ट्र पालन तकनीकी पुस्तिका’ – का विमोचन किया गया।
साथ ही, 25 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों, उल्लेखनीय सेवा कार्य करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों एवं अनुबंध कार्मिकों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंतर्गत ऊँटनी के दूध से बने उत्पादों का प्रदर्शन, पौधारोपण, एवं एससीएसपी योजना के तहत कृषि संसाधनों का वितरण भी किया गया।
आयोजन सचिव डॉ. योगेश कुमार ने संस्थान की अनुसंधान उपलब्धियों और उष्ट्र संरक्षण एवं विकास से संबंधित कार्यों की जानकारी दी। आयोजन की रूपरेखा डॉ. प्रियंका गौतम एवं डॉ. मितुल बुम्बडिया ने तैयार की, डॉ. श्याम सुंदर चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और नेमीचंद बारासा ने मंच संचालन किया।