श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, संतों के संग हुआ भक्ति समागम
धर्मेश महाराज बोले – संस्कारों के बिना जीवन का कोई मोल नहीं



बीकानेर। भीनासर स्थित गौरक्ष धोरा धाम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कथा वाचक परम पूज्य धर्मेश जी महाराज ने कपिल अवतार, ध्रुव चरित्र एवं भगवान शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का दिव्य वर्णन किया।
धर्मेश महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन बार-बार नहीं मिलता, इसलिए इस कलियुग में दया, धर्म और प्रभु स्मरण के बिना मुक्ति संभव नहीं। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने अपने पांचवें अवतार में कपिल मुनि के रूप में जन्म लिया, जिन्होंने सृष्टि रचना और धर्म के मर्म को उजागर किया।
ध्रुव चरित्र के माध्यम से उन्होंने बताया कि यदि मन में विश्वास हो और भगवान में अटूट श्रद्धा हो, तो कोई भी कार्य असफल नहीं होता। उन्होंने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए और जीवन को सार्थक बनाने के लिए संस्कार अत्यंत आवश्यक हैं।
महाराज ने शिव-पार्वती विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यह केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि विवाह संस्कार की महिमा का प्रतीक है। आधुनिक जीवन में मनुष्य जिस तरह से संस्कारों से दूर हो रहा है, वह चिंताजनक है।
कथा के दौरान बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु बसों के माध्यम से दूरदराज़ क्षेत्रों से पहुंचे। आयोजन से जुड़े प्रवीण भाटी ने बताया कि शनिवार को संत समागम का विशेष आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्थानों से पधारे संतों ने कथा स्थल की आध्यात्मिक ऊर्जा को और भी प्रखर किया। संतों के सान्निध्य में संकीर्तन हुआ और सभी को भोजन-प्रसादी वितरित की गई।
आयोजन का प्रत्येक दिन भक्ति, श्रद्धा और दिव्यता से परिपूर्ण हो रहा है, जिसमें क्षेत्र के नागरिक बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।