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संविदाकर्मियों की जिन्दगी दांव पर, न मेडिकल सुविधा, न बीमा

– ईसीबी के अकाल निधन वाले कार्मिकों के परिजनों को नहीं मिला कोई लाभ

बीकानेर। एक ओर जहां केन्द्र और राज्य सरकारें सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी और अर्ध-सरकारी संस्थानों में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों की जान जोखिम में है। इन कर्मचारियों को न तो कोई बीमा सुरक्षा मिली है और न ही मेडिकल सुविधा का लाभ। हालात इतने गंभीर हैं कि संविदा पर कार्यरत कर्मचारी के असामयिक निधन की स्थिति में उनके परिवार को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता तक नहीं मिलती।

ऐसा ही मामला राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर (ईसीबी) में सामने आया है, जहां पिछले दो वर्षों में चार संविदाकर्मियों की अकाल मृत्यु हो चुकी है। लेकिन इन कर्मचारियों की ईएसआई कटौती नहीं होने के कारण उनके परिजनों को न तो कोई मेडिकल सहायता मिली और न ही किसी प्रकार की बीमा राशि।

ईसीबी में करीब 150 अशैक्षणिक कर्मचारी विभिन्न संवर्गों में कार्यरत हैं, जिनकी नियुक्ति ठेका फर्म के माध्यम से हुई है। प्रारंभ में इन कर्मचारियों को ईपीएफ और ईएसआई दोनों का लाभ मिल रहा था, लेकिन पिछले दो सालों से 18,000 रुपये से अधिक वेतन वाले कर्मचारियों की ईएसआई कटौती बंद कर दी गई है। इसके चलते वे और उनके परिजन किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य लाभ से वंचित हो गए हैं।

एम्बूलेंस व्यवस्था भी ठप, मोटरसाइकिल पर ले जाया गया मरीज

कॉलेज परिसर में एम्बूलेंस सुविधा का हाल भी चिंताजनक है। कुछ माह पूर्व कर्मचारी योगेश पारीक की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एम्बूलेंस के अभाव में मोटरसाइकिल पर अस्पताल ले जाया गया, जहां समय पर उपचार न मिलने से उनकी मृत्यु हो गई।

अनुकंपा नौकरी भी नहीं, जीवनयापन संकट में

मृतक कर्मचारियों के परिजनों को न तो अनुकंपा नियुक्ति दी गई और न ही उचित आर्थिक सहायता। ईपीएफ कटौती के आधार पर जो भी राशि मिली, वह परिवार के लिए अपर्याप्त साबित हुई।

संघर्ष समिति ने उठाई आवाज

इस स्थिति को देखते हुए अशैक्षणिक कर्मचारी संघर्ष समिति ने अध्यक्ष संतोष पुरोहित के नेतृत्व में प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा है। समिति ने कर्मचारियों के लिए मेडिकल पॉलिसी और ग्रुप इश्योरेंस की सुविधा तत्काल लागू करने की मांग की है।

ज्ञापन सौंपने वालों में महामंत्री दिनेश पारीक, जयकिशन पुरोहित, सुरेन्द्र जाखड़, नरेन्द्र व्यास, अनिल पुरोहित, चंद्रवीर सियाग, शिव शंकर पारीक, पवन शेखावत, सुरेन्द्र जोशी, मोहन पुरोहित और नरेन्द्र आचार्य सहित कई कर्मचारी शामिल थे।अब देखना यह होगा कि जिम्मेदार अधिकारी इस गंभीर समस्या की ओर कब ध्यान देते हैं और संविदाकर्मियों को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार कब मिलेगा।

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