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भागवत केवल पुस्तक नहीं, साक्षात् श्रीकृष्ण स्वरूप है : धर्मेश महाराज


– श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन हुआ अमर कथा का वर्णन

बीकानेर। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं, किंतु भगवान के नियम न तो गलत हो सकते हैं और न ही बदले जा सकते हैं। यह विचार अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेश महाराज ने शुक्रवार को भीनासर के गौरक्ष धोरा स्थित नखत बन्ना मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिवस व्यक्त किए।

धर्मेश महाराज ने शुकदेव जन्म, राजा परीक्षित को श्राप और अमर कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग दिखाती है। राजा परीक्षित के कारण ही भागवत कथा को पृथ्वीवासियों के लिए सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

उन्होंने भागवत के चार अक्षरों का अर्थ बताते हुए कहा – भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त से त्याग। यही भाव जीवन में उतारने से ही भागवत सार्थक होती है। कथा में उन्होंने छह प्रश्नों, निष्काम भक्ति, 24 अवतारों, नारद के पूर्व जन्म, परीक्षित के जन्म और कुन्ती देवी द्वारा विपत्ति की याचना जैसे प्रसंगों का उल्लेख भी किया।

धर्मेश महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि साक्षात् श्रीकृष्ण का स्वरूप है।

योगी रामनाथ महाराज ने श्रद्धालुओं को जानकारी देते हुए बताया कि कथा का समय प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे से दोपहर 4 बजे तक रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु 10 रूटों से निःशुल्क बस सेवा की व्यवस्था की गई है।

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