भारतीय रेल को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम: जीआरपी प्रमुखों का छठा अखिल भारतीय सम्मेलन संपन्न



● यात्री शिकायतों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एकजुट हुए रेलवे के पुलिस अधिकारी
● नन्हे फरिश्ते, आहट, और मेरी सहेली अभियानों को किया मजबूत
बीकानेर। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और रेल मंत्रालय के समन्वय से राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) प्रमुखों का छठा अखिल भारतीय सम्मेलन नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में रेलवे सुरक्षा, यात्री अपराध नियंत्रण और सुरक्षा ढांचे के आधुनिकीकरण जैसे अहम विषयों पर मंथन किया गया।
सुरक्षा ढांचे में सहयोग और नवाचार
सम्मेलन की शुरुआत रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष व मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार के उद्बोधन से हुई। उन्होंने जीआरपी और आरपीएफ के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल देते हुए ‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’, ‘ऑपरेशन आहट’ और ‘मेरी सहेली’ जैसी पहलों की सराहना की। डीजी आरपीएफ मनोज यादव ने यात्री अपराधों की बढ़ती चुनौती के मद्देनजर सुरक्षा ढांचे को तकनीकी रूप से उन्नत करने की जरूरत बताई।
रेल मदद पोर्टल और नए आपराधिक कानून
चर्चा का एक प्रमुख बिंदु ‘रेल मदद पोर्टल’ पर दर्ज शिकायतों और वास्तविक एफआईआर के बीच तुलनात्मक अध्ययन रहा। नए आपराधिक कानूनों के तहत जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर, डिजिटल साक्ष्य प्रबंधन और तेज़ जांच प्रक्रिया को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
मानव संसाधन और ढांचागत सुधारों पर फोकस
सम्मेलन में जीआरपी के लिए एक समान बेंचमार्क विकसित करने का निर्णय लिया गया, ताकि विभिन्न राज्यों की भौगोलिक और परिचालन जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए मैनपावर और ढांचागत जरूरतों का मूल्यांकन किया जा सके। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया गया है।
समापन में सामूहिक संकल्प
अपने समापन भाषण में डीजी आरपीएफ मनोज यादव ने कहा, “यह सम्मेलन रेलवे सुरक्षा के प्रति हमारे साझा संकल्प को मजबूत करता है। मैनपॉवर, तकनीक और जांच प्रक्रिया के आधुनिकीकरण के माध्यम से हम यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं।”
सम्मेलन का समापन एक दूरदर्शी सोच के साथ हुआ, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने यात्री सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने, तकनीक के बेहतर उपयोग और केंद्र-राज्य समन्वय को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।