परंपरा, सुविधा और संस्कृति का संगम: अमृत भारत योजना से बदल रहे हैं राजस्थान के रेलवे स्टेशन
बीकानेर। भारतीय रेल देश की जीवन रेखा मानी जाती है और रेलवे स्टेशन किसी भी शहर की पहचान। यही वजह है कि अब रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प केवल यात्रा सुविधाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इन्हें सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और स्थानीय विरासत के प्रतीक के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यह जानकारी देते हुए जोधपुर डीआरएम अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू की गई अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत देशभर के 1300 से अधिक रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है, जिनमें से 103 स्टेशन अब बनकर तैयार हो चुके हैं। इनका उद्घाटन भी शीघ्र ही होने वाला है।प्रधानमंत्री मोदी ने खुद कहा है कि वे जिन परियोजनाओं का शिलान्यास करते हैं, उनका उद्घाटन भी वे स्वयं करते हैं। यह नई कार्य संस्कृति ‘तेजी से पूर्ण होने वाली परियोजनाओं’ की पहचान बन चुकी है। भारतीय रेल की इस रफ्तार की व्यापक सराहना हो रही है।



राजस्थान के आठ स्टेशन शामिल
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत जिन 103 स्टेशनों का कायाकल्प पूरा हो गया है, उनमें राजस्थान के भी आठ स्टेशन शामिल हैं — बूंदी, माण्डल-गढ़, देशनोक, गोगामेड़ी, गोविंदगढ़, मण्डावर-महुवा रोड, फतेहपुर शेखावाटी और राजगढ़। 75 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बने इन स्टेशनों पर सौंदर्य, सुविधा और संस्कृति का अद्भुत समन्वय देखने को मिल रहा है।
नवाचार और सांस्कृतिक झलक
इन स्टेशनों पर भव्य प्रवेश द्वार, आकर्षक फसाड, हाई मास्ट लाइटिंग, आधुनिक प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर, मॉडर्न टॉयलेट्स, दिव्यांगजन के लिए सुगम रैंप, कोच इंडिकेशन सिस्टम और डिजिटल डिस्प्ले जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं। साथ ही हर स्टेशन पर राजस्थान की लोक कला और परंपराओं की भी झलक मिलती है।
देशनोक स्टेशन के वास्तु में करणी माता मंदिर की छवि समाहित है। बूंदी स्टेशन अब चित्रकला और किलों की समृद्ध विरासत के अनुरूप एक आकर्षक स्टेशन बन चुका है। फतेहपुर शेखावाटी स्टेशन पर शेखावाटी शैली की चित्रकारी और स्थापत्य कला का प्रभाव देखा जा सकता है। वहीं, गोगामेड़ी, गोविंदगढ़, मण्डावर-महुवा रोड और माण्डल-गढ़ जैसे स्टेशन अब केवल ट्रांजिट पॉइंट नहीं रहे, बल्कि स्थानीय जनजीवन से जुड़ी सुविधाओं के केंद्र बन चुके हैं।
साझी जिम्मेदारी
रेलवे स्टेशन विकास के रथ पर सवार भारत के प्रमुख केंद्र बन रहे हैं। ऐसे में इन्हें स्वच्छ, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाए रखना हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है। रेलवे की इस प्रगति में हर भारतीय की सहभागिता है और इसी सहभागिता से भारत का अमृत काल और भी उज्ज्वल होगा।