इस साल नहीं लगेंगे गर्म हवा के थपेड़े: मौसम विभाग
नई दिल्ली। इस साल ज्येष्ठ की तपती दुपहरी अपने परवान नहीं आ रही है। करीब आधा मई बीत चुका है और गर्म हवाओं का दूर-दूर तक कोई पता नहीं है। यही नहीं, रह-रह के बारिश भी हो रही है, जिससे पारा कम चल रहा है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो इस साल गर्मी का मौसम असामान्य रहने वाला है। देश के उत्तर, मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में मार्च तक सर्दी चली जाती है। फिर गर्मी का आगमन होता है। अप्रैल आते-आते गर्मी लगने लगती है। मई के महीने में तो गर्म हवाएं झुलसाने लगती हैं।
उत्तरी क्षेत्रों के अलावा पूरब के मैदानी क्षेत्र, मध्य भारत के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के दक्षिण हिस्से बेहद गर्मी वाले क्षेत्र हैं और इस समय तक इन क्षेत्रों में पारा लगभग 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। राजस्थान में तो तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से पार पहुंच जाता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल सामान्य से अधिक तापमान का अनुमान लगाया था, लेकिन अभी तक तापमान सामान्य स्तर तक भी नहीं पहुंच पाया है। उल्टे पहली मार्च से 11 मई के दौरान औसत से 25 फीसद ज्यादा बारिश ही हुई है। आईएमडी के पुणे स्थित लांग रेंज फोरकास्ट इकाई के वरिष्ठ वैज्ञानिक ओपी श्रीजीत कहते हैं कि मार्च में औसत 47 फीसदी और अप्रैल में आठ फीसदी ज्यादा बारिश हुई।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा इसको सामान्य नहीं मानते। मौसम की जानकारी देने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काइमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट महेश पालावत ने कहा कि अप्रैल में सिर्फ दो ही मौके ऐसे आए जब गर्म हवाएं चलीं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि 16 मई के बाद तापमान बढ़ सकता है. सामान्य से जब 5-6 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान के साथ हवाएं चलती हैं तो उसे मौैसम विभाग लू की श्रेणी में रखता है। जब तापमान सामान्य से सात डिग्री ऊपर पहुंच जाता है तब मौसम विभाग उसे प्रचंड गर्मी करार देता है।
आईएमडी के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र की प्रमुख सती देवी ने कहा कि गुजरात में अप्रैल के महीने में एक बार गर्म हवाएं चली, लेकिन उसका दायरा बहुत व्यापक नहीं था। इस महीने राजस्थान में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के चलते बारिश हो गई और पारा फिर लुढ़क गया।