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लोक संतों की वाणी से संस्कारित समाज निर्माण पर परिचर्चा


‘लोक संत: हमारी सामाजिक धरोहर’ व्याख्यानमाला के अंतर्गत आयोजन

बीकानेर। प्रकाश पुंज फाउंडेशन की ओर से गुलाब कुंज में आयोजित ‘लोक संत: हमारी सामाजिक धरोहर’ व्याख्यानमाला (भाग-द्वितीय) के तहत ‘लोक संतों की वाणी से संस्कारित एवं समृद्ध समाज का निर्माण कैसे हो?’ विषयक परिचर्चा आयोजित की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत सतगुरु महर्षि नवल साहेब के तेलचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इस अवसर पर महर्षि नवल गुरु गाद्धीपति आचार्य चरणदास महाराज, स्वामी विमर्शानंद महाराज (मठाधीश, लालेश्वर महादेव मंदिर), श्रीहणुत गाद्धीपति जयकिशन महाराज रोड़ा, महंत रमेश चौहान, नवलरत्न राजकुमार सरसिया (कोटा) और आचार्य ओमप्रकाश घारू मंचासीन रहे।

समाज में शिक्षा और संतवाणी की भूमिका पर बल
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य चरणदास महाराज ने कहा, “समाज का उत्थान शिक्षा, दीक्षा और संस्कारों से ही संभव है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा को शेरनी का दूध कहा है—जो पिएगा वही दहाड़ेगा।”

मुख्य अतिथि स्वामी विमर्शानंद महाराज ने कहा, “बदलते समय में जीवन-मूल्यों की पुनः स्थापना आवश्यक है। संतों की वाणी समाज को संस्कारवान और समृद्ध दिशा में ले जाती है।”

मन के द्वंद्वों का समाधान संतों के पास
विशिष्ट अतिथि महंत रमेश चौहान ने कहा, “जहां भौतिक चिकित्सक शरीर का उपचार करता है, वहीं संत मन के चिकित्सक होते हैं। संत ही मन के द्वंद्वों को शांत कर सकते हैं।”

राजकुमार सरसिया ने कबीर, महर्षि नवल और हणुत साहेब जैसी संत परंपराओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इनकी वाणी आज भी समाज को दिशा प्रदान कर रही है।

मुख्य वक्ता डॉ. ब्रजरतन जोशी ने ‘संत, लोक, संस्कार व धरोहर’ जैसे शब्दों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

भजनों का लोकार्पण और संगीतकार का सम्मान
इस मौके पर आचार्य ओमप्रकाश घारू के स्वरबद्ध संतवाणी भजनों का वर्चुअल लोकार्पण किया गया। इनके संगीतकार सुजीत जावा का भी सम्मान हुआ।

कार्यक्रम संचालन और सहयोग
स्वागत भाषण पूनमचंद कंडारा ने दिया, जबकि कार्यक्रम की भूमिका डॉ. सुभाष प्रज्ञ ने प्रस्तुत की। फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्याम निर्मोही ने विषय पर सारगर्भित विचार रखे।
अतिथियों का परिचय अमित तेजी, त्रिलोक बारासा, विनोद शागिर्द, डॉ. सुभाष चंद्र और दीनदयाल घारू ने करवाया। संचालन नेमीचंद बारासा ने किया।
फाउंडेशन की अध्यक्षा डॉ. खुशबू घारू ने सभी आगंतुकों का आभार जताया।

गणमान्य लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम में संतोषानंद सरस्वती, शिवलाल तेजी, ओमप्रकाश लोहिया, चंद्रशेखर चांवरिया, दिलीप पांडे, आचार्य मंगलाराम पंडित, महंत त्रिलोक पंडित, माणक गुजराती, शिक्षाविद् सरोज तेजी, सी.डी. सिसोदिया, श्याम लाल तेजी, विनोद बारासा, गाद्धीपति अमित पंडित, बलवेश चांवरिया, बाबूलाल घारू, भरत चांगरा, थानमल पंडित, राहुल जादूसंगत, हेतराम जावा, फतेहचंद परिहार सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

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