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“बरसाती पानी पर हक जताने की बारी, नहीं जाए एक भी बूंद पाकिस्तान!”

“Rainwater Should Reach Tail-End Farmers, Not Pakistan: MLA Bhati”

बीकानेर। विधानसभा सत्र के दौरान कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने राज्य में जल प्रबंधन की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 90 के दशक के बाद से पौंग डैम में पूरा पानी नहीं भरा जा रहा, जिससे मानसून के दौरान बरसाती पानी पाकिस्तान की ओर बह जाता है। दूसरी ओर, बीकानेर, बाड़मेर और जैसलमेर के टेल क्षेत्र में बसे किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने मांग की कि इस मामले को बी.बी.एम.बी. (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) के माध्यम से उठाया जाए ताकि राज्य के किसानों को उनका हक मिल सके।



जल आपूर्ति सुधारने के लिए सौर ऊर्जा मॉडल की वकालत

विधायक भाटी ने सुझाव दिया कि गर्मी के मौसम में विद्युत आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए सरकार को एक सौर ऊर्जा आधारित मॉडल विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी एक स्थान को चिन्हित कर वहां संपूर्ण बिजली व्यवस्था सौर ऊर्जा पर आधारित की जाए और अतिरिक्त बिजली को नेट मीटरिंग के माध्यम से ग्रिड में जोड़ा जाए। इससे न केवल राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, बल्कि किसानों को भी निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी।



नहरों में पानी चोरी पर सख्त कार्रवाई की मांग

भाटी ने पीएचईडी (जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग) की राइजिंग लाइन को तोड़ने, अवैध मोघे और साइफन के जरिए नहरों से पानी चोरी के मामलों को गंभीरता से उठाया। उन्होंने कहा कि इन कारणों से टेल तक बैठे किसानों को उनका हक नहीं मिल रहा। उन्होंने राजस्थान इरिगेशन एंड ड्रेनेज एक्ट, 1990 की धारा 55 में संशोधन कर पानी चोरी करने वालों पर गैर-जमानती मुकदमे दर्ज करने की मांग की। इसके अलावा, पीएचईडी एक्ट में बदलाव कर ऐसे अपराधियों को 7 साल की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान करने का सुझाव दिया।



जल संरक्षण की परंपराओं को पुनर्जीवित करने पर जोर

विधायक भाटी ने कहा कि रेगिस्तान में जल प्रबंधन की हजारों साल पुरानी परंपराएं रही हैं, जिनमें कुएं, जोहड़, बावड़ी, बैरी, टोबा जैसी संरचनाएं जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। लेकिन आजकल पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आने के कारण हम इन व्यवस्थाओं को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराज गंगासिंह जी ने सीमित संसाधनों के बावजूद रेगिस्तान में नहरें लाकर जल संकट का समाधान किया था। लेकिन वर्तमान में, महज 5-10 किलोमीटर दूर पानी पहुंचाने में भी कठिनाई हो रही है, जो चिंताजनक है।



जल संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत

भाटी ने कहा कि अगर जल प्रबंधन की यही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में संकट और गहराएगा। उन्होंने बरसाती जल संचयन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई और कहा कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि राज्य के किसानों को उनका अधिकार मिल सके और पानी की एक भी बूंद व्यर्थ न जाए।

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