राजस्थान में अवैध भूजल दोहन पर NGT सख्त, तीन सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश
बीकानेर। भोपाल स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की मध्य क्षेत्र पीठ ने राजस्थान के 33 जिलों में 409 से अधिक औद्योगिक इकाइयों द्वारा बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) के भूजल दोहन करने पर गंभीर रुख अपनाया है।
मामले की सुनवाई और निर्देश:
मामले की सुनवाई 27 फरवरी 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। आवेदक ताहिर हुसैन की याचिका पर एनजीटी की पीठ, जिसमें न्यायिक सदस्य शिव कुमार सिंह और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. एक सेंथिल वेल शामिल थे, ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) को निर्देश दिया कि वह नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करे और तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करे।
आवेदक की शिकायत:
याचिका में आरोप लगाया गया था कि कई औद्योगिक इकाइयां CGWA की 24 सितंबर 2020 की अधिसूचना का उल्लंघन करते हुए बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के भूजल का निष्कर्षण कर रही हैं।
CGWA और RIICO का पक्ष:
CGWA के वकील गिगी जॉर्ज ने बताया कि RIICO (राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम) द्वारा भूजल शुल्क लिया जा रहा है, लेकिन पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया है।
RIICO के वकील ओम शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि इस मुद्दे पर सीजीडब्ल्यूए और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक हो रही है।
मामले में प्रमुख निष्कर्ष:
बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के जल दोहन करने वाली इकाइयों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन अभी तक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया है।
80 आवेदन मुआवजा न देने के कारण अस्वीकार कर दिए गए, 11 आवेदन दस्तावेजों की कमी से, 1 आवेदन शुल्क न भरने से और 8 आवेदन पूर्व बकाया भुगतान न करने से खारिज हुए।
वर्तमान में 08 आवेदन विचाराधीन हैं, जिन पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।
अगली सुनवाई 23 अप्रैल 2025 को होगी, जिसमें सीजीडब्ल्यूए को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।

