बीकानेर: सोलर एनर्जी का उभरता हब, लेकिन स्किल्ड यूथ और डिस्कॉम की चुनौतियां बरकरार
बीकानेर। बीकानेर तेजी से सोलर एनर्जी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां वर्तमान में 6,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही, 2,000 मेगावाट के नए प्रोजेक्ट्स के लिए टेंडरिंग प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। लैंड कॉस्ट की सस्ती दरें, अनुकूल मौसम और स्थानीय जनता का समर्थन जैसी सुविधाओं के कारण बीकानेर बड़ी कंपनियों के लिए निवेश का आकर्षक केंद्र बनता जा रहा है।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के कुसुम कॉम्पोनेंट्स ‘सी’ के अंतर्गत किए गए अधिकांश टेंडर बीकानेर जोन के लिए आवंटित किए गए हैं, जिसमें जोधपुर डिस्कॉम के 3,000 मेगावाट के टेंडर भी शामिल हैं। इससे स्पष्ट होता है कि बीकानेर का भविष्य सोलर एनर्जी के क्षेत्र में बेहद उज्ज्वल है।
स्थानीय युवाओं के लिए चुनौतियां
हालांकि, इस तेजी से बढ़ते क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती है—स्किल्ड यूथ की कमी और शैक्षणिक संस्थानों में सोलर इंजीनियरिंग के विशेष कोर्स की अनुपलब्धता। यहां के युवा बिना किसी विशेषज्ञता के इस क्षेत्र में आ रहे हैं, जिससे उन्हें काम के दौरान ही ट्रेनिंग दी जाती है। इस वजह से बड़े स्तर की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को सीमित अवसर मिल रहे हैं और वे केवल लेबर-ओरिएंटेड कार्यों तक ही सीमित रह जाते हैं।
सोलर एनर्जी के उपयोग में सुधार की जरूरत
बीकानेर में सोलर एनर्जी के उपभोक्ताओं की संख्या भी बेहद कम है, जहां कुल उपभोक्ताओं का केवल 2 प्रतिशत ही सोलर एनर्जी का उपयोग कर रहा है। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं डिस्कॉम की जटिल प्रक्रियाएं और कठिन नियम, जिनके चलते उपभोक्ता सोलर एनर्जी की ओर आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत घरों में सोलर पैनल लगाने पर केंद्र सरकार द्वारा 78,000 रुपए तक की सब्सिडी दी जा रही है। लेकिन, डिस्कॉम की लेट-लतीफी के कारण यह योजना उम्मीद के अनुरूप गति नहीं पकड़ पाई है। खासकर ग्रामीण डिस्कॉम में योजना की जानकारी का अभाव और प्रचार-प्रसार की कमी इस फेलियर के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। डिस्कॉम की उदासीनता के चलते उपभोक्ता को सब्सिडी मिलने में महीनों लग रहे हैं। हालांकि इस पर राज्य सरकार ने त्वरित गाइड लाइन भी जारी की, लेकिन उसकी भी अनुपालना डिस्कॉम अभी तक नहीं कर पाया है। ऐसे में जमीनी स्तर पर यह योजना निरंतर ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है।
विशेषज्ञों की राय
शरद दत्ता आचार्य, नेशनल जनरल सेक्रेटरी, सोलर संगठन, का मानना है कि “बीकानेर में सोलर एनर्जी का बड़ा हब बनने की पूरी क्षमता है, लेकिन स्किल्ड यूथ की कमी और डिस्कॉम की जटिल प्रक्रियाएं इसे पीछे खींच रही हैं। शैक्षणिक संस्थानों को सोलर इंजीनियरिंग में स्पेशलाइज्ड कोर्स शुरू करने चाहिए, जिससे स्थानीय युवाओं को भी रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।”
समाधान की राह
इस क्षेत्र में प्रगति के लिए जरूरी है कि सरकार और निजी कंपनियां मिलकर काम करें। स्किल्ड यूथ को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में सोलर इंजीनियरिंग के स्पेशलाइज्ड कोर्स शुरू किए जाएं। साथ ही, डिस्कॉम की जटिलताओं को कम कर उपभोक्ताओं को अधिक सुविधा प्रदान की जाए, जिससे सोलर एनर्जी का उपयोग बढ़ सके और बीकानेर वास्तव में सोलर एनर्जी का एक प्रमुख हब बन सके।