बीकानेर तक पैदल ही खींच लाई पेट की भूख
बीकानेर। विधि न जाने क्या क्या खेल दिखाएगी। कोरोना की मार और भूख का वार सबसे ज्यादा किसी को प्रभावित कर रहा है तो वह है गरीब बेबस मजदूर। ऐसी कुछ मजबूरी थी फलौदी के बाप गांव से पैदल सफर तय कर बीकानेर आए मजदूरों की। रविवार दोपहर को यहां महिला मंडल स्कूल के एक पेड़ के नीचे मास्क लगाकर सोशियल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए सुस्ता रहे थे। पास में कुछ पुलिस के जवान बैठे थे। इसलिए खुलकर अपनी बात भी नहीं बता पा रहे थे। उनके चेहरे पर भूख, भय व चिन्ता के भाव बता रहे थे कि अगला पल कैसे बीतेगा। उनमें से एक ने थोड़ी हिम्मत जुटा कर कहा कि वे बाप गांव से आए हैं और हमें किसी ने बताया कि बीकानेर में खाना और रहने का आसरा मिल जाएगा। उन्हें पूछा कि बीकानेर में कहां मिल जाएगा खाना तो बोले स्टेशन के पास। उनकी बातों से लग रहा था कि वे असमंजस की स्थिति में थे। हालांकि वहां मौजूद पुलिस कर्मी भी उनसे कुछ जानने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन थके हारे इन मजदूरों की बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। सरकार को शहरी क्षेत्र में प्रवेश करने वाले ऐसे मजदूरों की मजबूरी को समझते हुए उनकी स्वास्थ्य जांच कर भोजन पानी की व्यवस्था के साथ इनके वांछित स्थान तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए।