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नहरी पानी की चोरी रोकने हेतु स्पेशल टास्क फोर्स बने- विद्यायक अंशुमान सिंह भाटी

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*पारम्परिक जल स्त्रोतों हेतु 5 हजार करोड़ के बजट प्रावधान की मांग उठाई*

*वर्ष 2023 में हुए नहरी मरम्मत के कार्य की उच्च स्तरीय जांच की मांग*

बीकानेर राज्य विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने सोमवार को विशाल नहरी तंत्र की सुरक्षा के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाने व पारम्परिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए 5 हजार करोड़ के बजट के प्रावधान की मांग रखी। विधानसभा में नहरों की मरम्मत में हुए भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की।

सदन में विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने कहा 650 किलोमीटर लंबी इंदिरा गांधी नहर परियोजना से 16 जिले लाभान्वित होते हैं। पैसठ लाख बीघा धरती पर सिंचाई होती है ।राजस्थान की चौथाई आबादी को पेयजल प्राप्त होता है। भाटी ने कहा 8000 करोड़ की लागत से बनने वाली इस नहर परियोजना से 16 हजार करोड़ रुपए की फसल मिलती है। इस नहर के आने से क्षेत्र के निवासियों की शिक्षा और चिकित्सा स्तर तथा जीवन शैली में सुधार हुआ है, इसलिए इसे राजस्थान की गंगा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भाटी ने कहा, नहरी पानी की चोरी पर कठोर सजा का प्रावधान हो।

सदन में भाटी ने सुझाव दिया कि धारा 55 Rajasthan Irrigation and Drainage Act 1954 में संशोधन करके दोषी अपराधियों को सिंचाई पानी चोरी करने पर 50 हजार रुपए से अधिक के जुर्माने की सजा हो और 5 वर्ष से अधिक का कारावास हो। आदतन अपराधी को 1 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना और 7 वर्ष से अधिक का कारावास हो। ऐसे अपराध को गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में डाला जाए। ऐसे प्रकरणों का निस्तारण 6 महीने की समय सीमा में हो, जिससे अपराधियों में भय व्याप्त हो।

भाटी ने कहा कि वर्ष 1980 से 1989 तक इंदिरा गांधी नहर परियोजना में बेलदार, मेट, गेज-रीडर जैसे श्रमिकों की भर्ती की गई थी। जिनका काम नहरी तंत्र की सुरक्षा करना और जल वितरण पर प्रभावी नियंत्रण व निगरानी रखने का था। समय के बीतने के साथ यह सभी श्रमिक लगातार सेवानिवृत्त होते गये और आज मात्र तीन प्रतिशत स्टाफ सेवा में रहे हैं, जो कि 2026 तक पूर्णतः शून्य हो जाएगा। भाटी ने राज्य सरकार से मांग की कि पाँच वर्षों में प्रतिवर्ष एक हजार कैनाल गार्ड, बेलदार मेट व गेज-रीडर जैसे श्रमिकों की स्थाई नियुक्ति हो, जिससे नहरी सिंचाई प्रणाली सुचारू रूप से चल सके और इस परियोजना का अपना वैभव-गौरव लौट सके।

भाटी ने कहा इतने विशाल नहरी तंत्र की सुरक्षा तथा जल वितरण में पानी चोरी रोकने हेतु एक विशेष टास्क फोर्स की आवश्यकता है। श्री भाटी ने कहा कि कोलायत के सगरा क्षेत्र में जल संग्रहण और संरक्षण के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है, जिससे बहुमूल्य वर्षा जल बह जाता है। भाटी ने कहा कि अगस्त 2023 में हुई अतिवृष्टि से बाढ़ जैसे हालात बन गए थे, जिससे नहरी तंत्र, कच्ची और पक्की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। कई गांव डूबने के कगार पर आ गए थे और फसल, ट्यूबवेल और अन्य साधन नष्ट हो गए थे, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ। अतिवृष्टि और बाढ़ प्रभावित गांवों नया गांव, लाड खान, हिराई, छिन्नरी, राणेरी, मंडाल भाटियां, मंडाल चारणन, गडियाला मोटासर, ग्रांधी, बज्जु तेजपुर, बज्जू खालसा में प्राकृतिक और पारंपरिक जल स्रोतों को पुनजीवित करने के लिए वाटरशेड और वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर (WHS) निर्माण हेतु वर्ष 2024-25 के लिए 5 करोड़ का बजट प्रावधान किया जाए।

भाटी ने कहा आज से 30-35 वर्ष पूर्व लोग अधिकतर गांवों में निवास करते थे और नहरों और खालों के निर्माण के बाद वे चकों में रहने लगे। रेगिस्तानी क्षेत्र में नहरी पुलिया की कमी होने के कारण लोगों को आवागमन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति को देखते हुए, नई पुलिया के निर्माण और आवश्यक बजट के प्रावधान के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

विधायक भाटी ने कहा कि कोलायत में आने वाली दो बड़ी शाखाएं, बरसलपुर शाखा और चारणवाला शाखा और इनकी वितरण प्रणाली की समस्त नहरों पर विशेष मरम्मत और सुदृढ़ीकरण कार्य हेतु लगभग 100 और 125 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान कर निविदा के माध्यम से कार्य वर्ष 2023-24 में शुरू किए गए थे। परंतु नहर मरम्मत और सुदृढ़ीकरण कार्य सरकारी मापदंडों के अनुरूप नहीं हैं और कार्य की गुणवत्ता भी निम्न स्तर की है। यह राशि नहर बनने के तकरीबन 35 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद हमें मिली थी और नियमों के अनुसार, आगे आने वाले 30-35 वर्षों तक इस प्रकार का कार्य भविष्य में नहीं होने वाला है।

उन्होंने सिंचाई मंत्री से आग्रह किया कि बरसलपुर शाखा के पैकेज दो और पैकेज तीन में कंपनी गोपी कृष्णा हैदराबाद द्वारा किए गए कार्य की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और जो भी दोषी हो, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि किसानों के हक का एक-एक पैसा नहर पर सही तरीके से खर्च किया जा सके।

भाटी ने महाराजा गंगा सिंह को आधुनिक भारत के भगीरथ की संज्ञा देते हुए कहा कि वे गंगनहर लाए थे। भाटी ने कहा सही मायने में देखा जाए तो इंदिरा गांधी नहर परियोजना के प्रेरणा स्त्रोत महाराजा गंगासिंह ही थे।

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