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वसुधैव कुटुम्बकम: भारत की राष्ट्रीयता का सांस्कृतिक स्वरूप

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*वैखरी का व्यास व्याख्यान सम्पन्न*

बीकानेर । गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को साहित्यिक एवं सांस्कृतिक नवोन्मेष के लिए संकल्पित संस्थान “वैखरी” का द्वितीय व्यास व्याख्यान स्थानीय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के संकाय कक्ष में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डॉ. महेशचन्द्र शर्मा ने “सांस्कृतिक राष्ट्रीयता” विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा कि आधुनिक राष्ट्र कृत्रिम संस्था है, जिसने विश्व को संघर्ष की तरफ धकेला है, जबकि भारतीय राष्ट्रीयता संस्कृति पर आधारित है। यह वसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत को पुष्ट करती है। यूरोप के देशों ने शेष संसार को पराया समझा और उन्हें लूट कर अपना विकास किया, जबकि भारत ने शेष संसार को अपना समझकर सभी को अपनाने की दृष्टि विकसित की। भारत की राष्ट्रीयता का यही सांस्कृतिक स्वरूप है।

इस अवसर पर राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष एवं संस्थान के संरक्षक इंदुशेखर तत्पुरुष ने विषय की प्रस्तावना रखी। संस्था की सचिव इंजीनियर आशा शर्मा ने संस्थान की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने संस्थान के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले साहित्यिक पुरस्कार एवं सम्मान के क्रम में नए सम्मान एवं पुरस्कारों की घोषणा की। यह सम्मान लोक कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली किसी प्रौढ़ महिला को दिया जाएगा।

व्याख्यान के अवसर पर बड़ी संख्या में शहर के साहित्यकार, प्रबुद्धजन एवं गण्यमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संस्था के अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद चौमाल ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा निदेशक मानव संसाधन एवं विकास संकाय, राजुवास, डॉ. बृजनंदन श्रृंगी ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारियों द्वारा डॉ. महेशचन्द्र शर्मा की सहधर्मिणी एवं सुप्रसिद्ध नृत्यांगना सुमिता शर्मा का अभिनंदन भी किया गया।

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