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सुनो सरकार, प्रदेश से बाहर फसल बेच रहे हैं किसान, यहां की औद्योगिक इकाईयों को नहीं मिल रहीं फसल 

अपने को बमुश्किल बचा पा रहीं हैं औद्योगिक इकाइयां 

कृषि आधारित उद्योगों को संचालन के लिए चाहिए संरक्षण 

मंडी शुल्क हो खत्म और आढ़त हो न्यूनतमः हर्ष कंसल

बीकानेर। किसी भी प्रदेश की आर्थिक उन्नति में वहां की औद्योगिक इकाईयों का उन्नत और सफल होना भी अत्यंत आवश्यक है । हमारा प्रदेश राज्य में होने वाली कृषि उपज की वजह से कृषि आधारित उद्योगों का हब बनता जा रहा है, लेकिन पड़ोसी राज्यों में कृषि आधारित उद्योगों को मिलने वाली राहत की वजह से हमारे प्रदेश की औद्योगिक इकाइयां पिछड़ती जा रही है। यह कहना है लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष हर्ष कंसल का ।

कंसल ने कृषि आधारित उद्योगों पर चल रहे संकटों के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री के विकसित भारत के सपने को पूरा करने में संकल्पित हमारे प्रदेश की सरकार को इन विषम असमानताओं को दूर करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्धारा कोरोना काल में कृषि जिंसो पर किसान कल्याण सेस 1 प्रतिशत लगाया गया था जोकि कोरोना काल बीत जाने के कितने समय के बाद भी यथावत जारी है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से अब इस शुल्क को यथा शीघ्र हटाने का आदेश जारी कर राहत की मांग की है।

अध्यक्ष हर्ष कंसल ने  बताया कि हमारे प्रदेश में कृषि जींस दलहन पर मंडी शुल्क 1.60 प्रतिशत और आढ़त 2.25 प्रतिशत राज्य सरकार द्धारा निर्धारित की गई है जबकि हमारे पड़ोसी राज्यों में ये शुल्क या तो है ही नही अगर कहीं पर है भी तो वो नहीं के बराबर है। हमारे प्रदेश में दाल मिलें काफी संख्या में हैं और हमारे यहां पैदावार भी काफी होती है परंतु किसान को इन सभी करों की वजह से उसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता है और वो प्रदेश से बाहर अपनी फसल बेचने जाते हैं जिससे यहां की औद्योगिक इकाईयों को फसल नहीं मिल पाती है और वो बंद होने की कगार पर हैं या जैसे तैसे अपने आप को बचाए रखे हुए है कि कभी तो सरकार उनकी आवाज को सुनेगी और हम फिर से जीवत हो जाएंगे। हर्ष ने वर्तमान हालात पर गौर करवाते हुए मंडी शुल्क को खत्म और आढ़त शुल्क को कम करने की मांग रखी।

पापड़ भुजिया कारोबार में उपयोग होता है बाहरी पैदावार 

कंसल ने कहा कि कुछ दलहन जिनकी पैदावार हमारे प्रदेश में नहीं होती हैं परंतु उनका उपयोग हमारे यहां पर पापड़ भुजिया उद्योग में काफी होता है उन पर वहां कि सरकार द्वारा मंडी शुल्क या कर अदा करके ही व्यापारी द्वारा माल हमारे यहां कि दाल मिलों को बेचा जाता है परंतु हमारे यहां पर उस पर फिर से मंडी शुल्क इत्यादि वसूला जाता है जो कि सरासर गलत है न्यायसंगत नहीं है इससे हमारे यहां कि दाल मिलों का माल महंगा हो जाता है और उन्हें कोई खरीददार नही मिलता है इससे उनके अस्तित्व पर ही एक प्रश्न चिन्ह लग गया है।

जीएसटी ठीक है फिर आढ़त वसूली क्यों 

 जीएसटी को लागू करके एक सराहनीय कदम बताते हुए कंसल ने कहा कि इससे व्यापारियों को पूरे भारत में अपना माल एक कर राशि होने की वजह से बेचने आसानी हो गई है अब पूरा भारत ही हमारे लिए बाजार हो गया लेकिन अब हमारे प्रदेश में मंडी शुल्क और अत्यधिक आढ़त टैक्स वसूला जाएगा तो हमारे यहां कि औद्योगिक इकाईयों को अपने आप को बचा पाना असम्भव सा हो जायेगा और उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सरकार को चाहिए की हमारी समस्याओं को गंभीरता से गौर करें और प्रदेश मे व्यवसाय को सरंक्षण देकर न्याय करे और इन शुल्क को त्वरित रूप से खत्म करें।

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