प्रदेश में 2 हजार करोड़ रुपए के व्यापार का नुकसान, तीसरे दिन भी बंद रही अनाज मंडिया
बीकानेर। मंडी शुल्क के साथ ही लगाई गई कृषक कल्याण फीस टैक्स के विरोध स्वरूप राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के पांच दिवसीय हड़ताल के आव्हान पर शुक्रवार को तीसरे दिन न केवल बीकानेर जिले की सभी अनाज मंडियां बंद रही बल्कि पूरे प्रदेश की 247 अनाज मंडी हड़ताल पर रही। श्री बीकानेर कच्ची आदत व्यापार संघ के मंत्री नंदकिशोर राठी ने बताया कि पिछले 3 दिनों की हड़ताल से ना केवल पूरे प्रदेश में दो हजार करोड़ के व्यापार का नुकसान हुआ है बल्कि सरकार को भी मंडी शुल्क, जीएसटी व आयकर के रूप में करीब 100 करोड़ का नुकसान हुआ है। दैनिक मजदूरी करने वाले, लेबर, गाडे वाले, ट्रक वाले आदि के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सरकार कृषि कल्याण फीस के आदेश को निरस्त करें, वह मंडी शुल्क की दरों में कमी करें संगठन के अध्यक्ष जगदीश पेड़ीवाल ने बताया कि शुक्रवार को कहीं किसी भी प्रकार के कृषि यंत्रों के नीलामी नहीं हुई जिससे किसानों को बड़ी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रदेश का किसान जानता है कि मंडी व्यापारी हमारे हितों के लिए ही कोरोना की इस महामारी के संकट की घड़ी में भी संघर्ष कर रहा है। पिछले 3 दिनों से मंडियों में कार्यरत गुड़, चीनी, दाल, चावल, तेल, घी, खल, पशु आहार आदि के थोक व्यापारी बंद होने के कारण खुदरा व्यापारी भी माल कम होने के कारण 2 प्रतिषत इस कृषक कल्याण फीस को मानते हुए अपने जिंसों की कीमतें बोलने लगे हैं, जिसकी मार प्रदेश की जनता को झेलनी पड़ रही है। शुक्रवार को हड़ताल के तीसरे दिन भी सरकार ने आंख नहीं खोली है। किसान व्यापारी व उद्योगों को इस संकट की घड़ी में राहत प्रदान करने की जगह उल्टा 2 प्रतिषत टैक्स थोपा है। हमारी मांग है कि ऐसे समय में न केवल इस आदेश को निरस्त करें बल्कि मंडी शुल्क की दरों में कमी करते हुए 50 पैसा करके किसान व्यापारी व उद्योगों को राहत प्रदान करें। इसको कोरोना जैसीं महामारी की संकट की घड़ी में न केवल थोक व्यापारियों ने सप्लाई चालू रखी बल्कि किसानों और आढ़तियों ने अपना व्यापार बंद रखकर भी सरकार को भरपूर सहयोग दिया। जब सरकार ने मंडियां खोलनी चाही व्यापारियों ने व्यवस्था बनाकर मंडियां खोल दी। इस समय उद्यमियों व व्यापारियों ने व्यापार बंद होने के बावजूद केवल अपने मुनीमों को तनख्वाह दी बल्कि अपनी लेबर को भी भूखे नहीं रहने दिया। व्यापारियों ने खाने के पैकेट व राशन किट भी वितरण कर हर संभव सहायता प्रदान की। ऐसे में सरकार को व्यापार और मंडी कारोबारियों तथा किसानों के हित में कदम उठाने चाहिए।
निदेशालय ने किया स्पष्ट व्यापारियों से वसूला जाएगा 2 रूपए प्रति सैकड़ा शुल्क
विपणन निदेशालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि किसान कल्याण शुल्क व्यापारियों से ही वसूला जाएगा किसानों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कृषि विपणन निदेशालय के निदेशक ताराचंद मीणा ने मंडी के अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि इस संबंध में काश्तकारों को जानकारी दी जाए उन्होंने स्पष्ट किया कि मंडी क्षेत्र मुख्य गौण मंडी प्रांगण निजी गौण मंडियों सीधी खरीद अनुज्ञा पत्र धारी इकाइयों आदि से कहीं भी विक्रेताओं से कृषक कल्याण फीस वसूल नहीं की जाएगी सिर्फ अनुज्ञा पत्र जारी व्यापारियों से ही फीस वसूल की जाएगी। इस पर श्रीगंगानगर के मंडी कारोबारी ओमप्रकाष गर्ग ने कहा कि राजस्थान सरकार व्यापारियों को खत्म करने पर तुली हुई है जिसका जीता जागता उदाहरण किसान कल्याण कोष के रूप में लगाया गया दो प्रतिशत मंडी शुल्क है। जहां पूरा देश एक तरफ कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है और 40 से 45 दिनों से घर पर बेला बैठा है वहां राहत देने की जगह हमारी राजस्थान सरकार हम लोगों को मरने पर मजबूर कर रही है। इसलिए राजस्थान सरकार से आग्रह करता हूं यह मण्डी शुल्क अपना वापस लें और व्यापारियों को राहत दें।