राजस्थान में लगभग 50 फीसद मरीज हुए पाॅजीटिव से नेगेटिव- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने बताया कि कोरोना से लड़ाई लंबी हो सकती है। ऐसे में आमजन को इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को ही आदत में शुमार करना होगा। उन्होंने आमजन से लाॅकडाउन-3 में मिली रियायतों में लापरवाही ना बरतने का भी आव्हान किया।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि यह कहना मुश्किल है कि कोरोना कब खत्म होगा लेकिन यह जरूर है कि यदि आमजन इस दौरान सरकार द्वारा दी जा रही गाइडलाइन का अनुसरण मसलन मास्क लगाएं, बार-बार हाथ धोते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेें, कम से कम आए-जाए तो बीमारी को फैलने से रोका जरूर जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा दिनों तक लाॅकडाउन बढ़ना अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में हर व्यक्ति को सहयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बचाव ही एकमात्र उपचार है।
डाॅ. शर्मा ने बताया कि चिकित्सा विभाग और प्रदेश भर के लिए यह राहत की खबर है कि प्रदेश में लगभग 50 फीसद लोग पाॅजीटिव से नेगेटिव चिन्हित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि बुधवार 2 बजे तक प्रदेश में 3240 कोरोना पाॅजीटिव की संख्या थी, इनमें से 1596 लोग पाॅजीटिव से नेगेटिव हो गए हैं और 1131 को तो अस्पतालों से भी डिस्चार्ज कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि यह चिकित्सकों की मेहनत और सरकार की बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्था के चलते ही संभव हो पाया है।
राजस्थान बना प्लाज्मा थैरेपी करने वाला चौथा राज्य
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि जयपुर का सवाईमानसिंह अस्पताल प्रदेश का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जहां दो लोगों का ट्रायल बेस पर प्लाज्मा थैरेपी से इलाज किया गया है। केरल, मध्यप्रदेश और दिल्ली के बाद चौथा ऐसा राज्य बन गया है, जो प्लाज्मा थैरेपी के जरिए कोरोना का इलाज कर पाने में समक्ष है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा थैरेपी के जरिए उन्हीं मरीजों को इलाज किया जा सकता है, जो गंभीर रूप से संक्रमित हो, वेंटिलेटर पर हो या किडनी, हार्ट, डायबिटीज जैसी अन्य क्राॅनिकल बीमारियों से ग्रसित हो।
प्रतिदिन हो रही हैं 10500 से ज्यादा जांचें
डाॅ. शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 10 हजार 500 टेस्ट प्रतिदिन किए जा रहे हैं। प्रतिदिन की जांच क्षमता में भी लगातार इजाफा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 1 लाख 40 हजार से ज्यादा सैंपल अभी तक लिए जा चुके हैं। जितनी ज्यादा जांचें होंगी, कोरोना की असलियत का उतना ही जल्दी पता चलेगा और पर उतना ही जल्दी उनके उपचार, आइसोलशन, आईसीयू, क्वारेंटाइन करने जैसे फैसले तुरंत ले सकेंगे और संक्रमण के खतरे को कम कर सकेंगे।