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बेर की उन्नत किस्में व उत्पादन तकनीकी को अपनाकर किसान ले सकते हैं अधिक उत्पादन : डॉ. जगदीश राणे

बीकानेर। केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने गुरुवार को बीकानेर में बेर प्रक्षेत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि संस्थान द्वारा विकसित बेर की उन्नत किस्में व उत्पादन तकनीकी को अपनाकर किसान अधिक उत्पादन ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर एवं अखिल भारतीय शुष्क क्षेत्रीय फल अनुसंधान परियोजना पिछले 30 वर्ष से बेर के क्षेत्र में अनुसंधान द्वारा किस्मों का विकास, उसकी उत्पादन प्रौद्योगिकी व पादप संरक्षण पर कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम में डॉ. पी.सी. पंचारिया, निदेशक सीरी पिलानी, डॉ. अमित नाथ, सी.आई.पी.एच.ई.टी. लुधियाना, सांवरमल सिंगारिया, निदेशक सिविल हवाई अड्डा, बीकानेर भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक, जिले के प्रगतिशील किसानों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। अतिथियों ने संस्थान के बेर जननद्रव्य ब्लाक का भ्रमण किया जिसमें संस्थान के बेर वैज्ञानिक डॉ डी.के. सरोलिया ने विस्तृत रूप से जानकारी दी। अतिथियों ने विभिन्न संस्थानों एवं प्रगतिशील किसानों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया एवं विस्तृत रूप से सभी से चर्चा की।
सिंगारिया ने किसानों को नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करने एवं बेर आदि फल के उच्चनिर्यात मूल्य वाले उत्पाद बनाने पर जोर दिया।

डॉ अमित नाथ ने तुड़ाई उपरांत मूल्य संवर्धन में उपयोगी विभिन्न उपकरणों, उत्पाद के छंटाई (ग्रेडिंग), दूरस्थ विपणन हेतु उत्पाद की उच्च गुणवत्ता के महत्व की जानकारी दी।
डॉ. पी.सी. पंचारिया ने जवान, किसान और वैज्ञानिक को देश का आधार स्तम्भ बताते हुए कृषि में इलेक्ट्रोनिक उपकरणों एवं ए.आई. जैसे डिजिटल टूल्सके महत्व एवम उपयोग पर प्रकाश डाला।

इस अवसर परवैज्ञानिक-कृषक संवाद का भी आयोजन किया गया जिसमें डॉ.डी.के. समादिया, डॉ.ओ.पी. खेदड़, डॉ. बी.डी. शर्मा, जयदीप दोगने, रमेश ताम्बिया, प्रगतिशील किसान सहीराम गोदारा, रामेश्वर खिचड़ एवम राजेंद्र सांखला व अन्य उपस्थित किसानों ने परिचर्चा करते हुए सक्रिय सहभागिता निभाई।
कार्यक्रम के अंत में प्रगतिशील किसानों, बेर-प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेता स्कूल के विद्यार्थियों, बेर फल-प्रदर्शनी के विजेता किसानों एवं तकनीकी प्रदर्शनियों को पुरस्कृत किया गया।

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