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वनवासी समाज का राष्ट्र निर्माण में रहा महत्वपूर्ण योगदान – भगवान सहाय

बीकानेर। राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद की जय नारायण व्यास कोलोनी स्थित अग्रवाल भवन में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रुप में पधारे भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय नगरीय कार्य प्रमुख भगवान सहाय जी ने अपने उद्बोधन में अनेकों उदाहरण देते हुए बताया कि हिन्दू राष्ट्र ही नहीं, अपितु हिंन्दु विश्व की संकल्पना बहुत शीघ्र साकार होने वाली है। इसके प्रत्यक्ष संकेत दृष्टिगोचर हो रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद के अखिल भारतीय अध्यक्ष अशोक सिंघल (अब स्वर्गवासी) एकदा परम श्रद्धेय सत्य सांई बाबा से मिलने गये थे। तीसवीं दशाब्दि का कोई वर्ष रहा होगा! श्री सत्य सांई बाबा ने एक भविष्यवाणी की। भारत इसी दशाब्दि में हिन्दू राष्ट्र बनेगा और चालीसवीं दशाब्दि में हम हिन्दू विश्व भी देखेंगे । उनकी भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य होने के स्पष्ट संकेत हम अनुभव कर रहे हैं।

भगवान सहाय ने यह भी कहा कि आर एस एस के प्रतिष्ठाता प्रातः स्मरणीय केशव बलिराम हेडगेवार का तो मानना था कि भारत हिन्दू राष्ट्र ही है। जब तक इस देश में एक भी हिन्दू जीवित है तब तक भारत हिन्दू राष्ट्र ही रहेगा । उन्होंने उदाहरण के रूप में क‌ई बातों का उल्लेख किया। विश्व के सौ से भी अधिक देश आज भारत में आविष्कृत योग कर रहे हैं।
56 देशों ने दीपावली का त्योहार मनाया। यहाँ तक कि अमेरिका के व्हाइट हाउस में भी दीपावली मनाई गई। विश्व के अनेक देशों में आज हिन्दू शासन कर रहे हैं। जिस देश ने हमें दो सौ वर्षों तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़े रखा आज उस देश का शासक हिन्दू है। जहाँ कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी उन देशों में, विशेषकर मुस्लिम बहुल देशों में,हिन्दू मन्दिरों के निर्माण की बाढ़ सी आई हुई है। हमारा प्रधानमंत्री विश्व के नेताओं की पंक्ति में, वर्षों से शिखर पर है। क्या ये उदाहरण हमारे विश्व गुरु बनने के प्रत्यक्ष संकेत नही है?

उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह की प्रतिमा के लोकार्पण के समय उनकी बहन ने देश के सामने एक प्रश्न रखा था। मेरे भाई ने जिस उद्देश्य के लिए अपने प्राण न्यौछावर किये उसकी पूर्ति कब होगी, कौन करेगा? केवल स्वाधीनता ही उसका लक्ष्य नहीं था। वह अपने देश को विश्व के शिखर पर देखना चाहता था। आज भगत सिंह की बहन के उस प्रश्न का उत्तर भारत दे रहा है। स्वामी विवेकानंद का उद्घोष कृणवन्तो विश्वमार्यम आज सच हो रहा है।

वनवासी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान हेतु असंख्य कार्यकर्ता कार्यरत हैं। इस कार्य हेतु धन अपरिहार्य है। दीपक का पात्र यदि वनवासी क्षेत्र है, तो कार्यकर्ता उस क्षेत्र को प्रकाशमान करने वाली बाती है। तिल तिल जलकर भी वह क्षेत्र को प्रकाशित तो करती रहेगी। किन्तु दीये में हर समय तेल होगा तभी तो बाती अपना काम कर पायेगी। देश के नगरीय क्षेत्र को वह तेल बनना पड़ेगा। देश के वनवासी, ग्रामवासी एवं शहरवासी, सभी को अपने आप को एक सूत्र में बान्धना होगा, एक माला बनकर देशमात्रिका के प्रति अपने आप को समर्पित करना होगा। ऐसा करके ही हम शहीदों की मनोकामना, शिवाजी की हिन्दू पद पादशाही, विवेकानंद के उद्घोष को सार्थक कर पायेंगे। यह जानकारी बंसल ग्रुप के एमडी एवं राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद बीकानेर महानगर इकाई के अध्यक्ष सुशील बंसल ने दी है।




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