शरद केवलिया की फेसबुक वाॅल से … फिर भी कर रहे हैं लाॅक डाउन का पालन
बीकानेर। अक्सर सुनने में आता है कि ज्ञान और प्रेरणा कहीं से भी ले सकते हैं चाहे वह कोई भी प्राणी क्यों न हो, लेकिन इसके लिए व्यक्ति में विजन, दृष्टिकोण या कहें नजरिया होना चाहिए। यह सब कठोर साधना से आता है। आज आपका परिचय ऐसे ही एक शख्सियत से कराना चाहूंगा जिनके नजरिये से प्रभावित होकर यह पोस्ट लिख रहा हूँ। आप हैं जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी शरद केवलिया। आप राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के सचिव भी है। दरअसल शरद केवलिया के घर के सामने विद्युत पोल पर रोज कुछ पक्षियों की प्रजाति बैठती और केवलिया उन्हें निहारते है और बड़े धैर्य से इंतजार करते हुए अच्छे से एंगल से फोटो खींचते हैं और फेसबुक पर फोटो अपलोड कर देते हैं। फिर बारी आती है उस फोटो के बारे में अपनी अभिव्यक्ति जाहिर करने की। आज जो फोटो उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट की वह दिखने में साधारण थी लेकिन केवलिया ने अपनी दमदार लेखन कला से फोटो में छिपे एक अनुकरणीय संदेश को वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप उभार दिया। फोटो में समूह में कुछ पक्षी दूरी बनाकर बैठें हैं और केवलिया ने लिखा कि ….. अलग अलग खेमों के होने के बावजूद शांति से सामूहिक चिंतन …. लाॅक डाउन की शर्तें भी इन पर लागू नहीं होती। कौआ, कमेड़ी और तोते एक ही जगह ऐसे बैठे हैं जैसे किसी विषय पर सामूहिक चिंतन कर रहे हैं और एक इंसान ऐसा जीव है जो चिंतन को छोड़ केवल अपनी स्वार्थी चिंता में ही लगा रहता है। केवलिया लिखते हैं कि लाॅक डाउन की शर्तें भी इन पर लागू नहीं होती फिर भी पालना कर रहे हैं और समझते है कि यदि ऐसा नहीं किया तो हमारी प्रजातियाँ भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकती हैं। देखिए कितने गहरे संदेश को बेहद खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया है। शरद केवलिया की इस कलात्मक अभिव्यक्ति ने इतना प्रभावित किया कि अनुकरणीय संदेश देने वाली उनकी कला को द इंडियन डेली के पाठकों तक पहुँचाने का एक छोटा सा प्रयास किया है। देखें पीआरओ शरद केवलिया की फेसबुक पोस्ट-