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हत्या के मामले में आठ जनों को आजीवन कारावास

बीकानेर । न्यायालय एससी/एसटी कोर्ट के न्यायिक अधिकारी विनोद कुमार वाजा ने 04 सितंबर 2023 को एससी/एसटी एक्ट से जुड़े मामले में निर्णय करते हुए मुलजिमान को आजीवन कारावास व अर्थदंड से आठ व्यक्तियों को दंडित किया है। इस मामले में सोनियासर मिठिया बास श्री डूंगरगढ़ में 01 फरवरी 2006 को रामकरण, श्रवणराम श्रीमती तीजा जाति मेघवाल जो कि इस मामले में परिवादीगण है के खेत में रेखाराम, जेठाराम, डेलूराम, दीपाराम, धन्नाराम, चीमादेवी, ईमादेवी, मनोहरलाल, रतिराम, चतराराम, देवाराम, घासीराम, सीताराम ने अपने हाथों में गण्डासी, लाठी, बरछी, कुल्हाड़ी, जेई जैसे हथियारों से लैस होकर श्रवणराम, रामकरण, श्रीमती तीजा पर जानलेवा हमला कर दिया। इससे परिवादी रामकरण के शरीर पर गंभीर चोटे आने के कारण दौराने इलाज उसकी मृत्यु हो गई व श्रवणराम व तीजादेवी के गंभीर चोटे आयी। न्यायालय में इनके विरूद्ध चालान प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय में धारा 147, 148, 302,302/149, 149, 323, 323/149, 307, 325, 325/149 व 3 एससी/एसटी एक्ट का चार्ज मुलजिमान के विरूद्ध लगाया गया। न्यायालय के समक्ष विशिष्ट लोक अभियोजक कुंवर कुंदन व्यास ने अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 30 गवाहान के बयान करवाये गये व गंडासी, लाठी, बछ हथियारों व मेडिकल रिपोर्ट व एफएसएल आदि को प्रदर्शित करवाया गया। बचाव पक्ष की ओर से तीन गवाह के बयान करवाए गए ।

न्यायालय ने विशिष्ट लोक अभियोजक कुंवर कुंदन व्यास द्वारा कराए गए गवाहान के बयानात व दस्तावेजात वजह सबूत, एफएसएल व हथियारों की रिपोर्ट व मौका की रिपोर्ट के आधार पर अलग अलग धाराओं में अलग अलग सजा सुनाते हुए सभी चार्ज को प्रमाणित माना। मुलजिमान जेठाराम, डेलूराम, धन्नाराम, चीमादेवी, ईमादेवी, मनोहरलाल घासीराम व सीताराम को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी व अर्थदंड के रूप में दो हजार रूपये से दंडित किया गया है। पीड़ित पक्ष मेघवाल जाति के थे।

मुलजिम रेखाराम, रतिराम, चतराराम, दीपाराम को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया है व दीपाराम की दौराने अन्वीक्षा मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरूद्ध कार्यवाही ड्रॉप की गयी।
अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी कुंवर कुन्दन व्यास विशिष्ट लोक अभियोजक द्वारा की गयी।

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